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8555555555555555555555555555555555555 + पुनः इच्छित और स्वीकृत है।" इस प्रकार रानी ने स्वप्न के फल को सम्यक् रूप से स्वीकार है ॐ किया और फिर बल राजा की अनुमति लेकर अनेक मणियों और रत्नों से चित्रित भद्रासन से 5 + उठी। इसके बाद शीघ्रता और चपलता से रहित गति से जहाँ शयनगृह में अपनी शय्या थी, वहाँ ।
ठकर मन ही मन इस प्रकार कहने लगी-"मेरा यह उत्तम. प्रधान एवं 卐 मंगलमय स्वप्न दूसरे पाप स्वप्नों से विनष्ट न हो जाए।" इस प्रकार विचार करके देवगुरुजनॐ सम्बन्धी प्रशस्त और मंगल रूप धार्मिक कथाओं (विचारणाओं) से स्वप्न-जागरिका के रूप में है वह जागरण करती हुई बैठी रही।
25. Hearing the interpretation of the dream from King Bal made Queen Prabhavati happy and contented. Joining her palms, she exclaimed, “Undoubtedly, beloved of Gods, what you say is true. Your interpretation is absolutely correct. Your statement is desirable and acceptable to me. It is, in fact, again and again cherished and believed." Sincerely accepting the interpretation, she took leave of King Bal, got 4 up from her seat decorated with gem stones and beads. She then returned to her bedroom with her natural graceful gait. Situing on her bed she started thinking—“Lest this dream lose its auspicious effect due to later bad dreams (I should remain awake)." Guided by these thoughts she got occupied with pious, auspicious, and religious tales about gods and elders and kept awake during the rest of the night sitting and devoting herself to post-dream awakening (nurturing the auspicious dream)." उपस्थानशाला की सफाई और सिंहासन की स्थापना CLEANING THE HALL AND INSTALLING THE THRONE
२६. तए णं से बले राया कोडुंबियपुरिसे सद्दावेइ, को. स. २ एवं वयासी-खिप्पामेव म भो देवाणुप्पिया! अज्ज सविसेसं बाहिरियं उवट्ठाणसालं गंधोदयसित्तसुइयसम्मज्जियोवलित्तं + सुगंधबर-पंचवण्णपुप्फोवयारकलियं कालागरुपवरकुंदुरुक्क. जाव गंधवट्टिभूयं करेह य करावेह य, करित्ता करावित्ता सीहासणं रएह, सीहा. र. २ ममेयं जाव पच्चप्पिणह।
[२६] इसके पश्चात् बल राजा ने कौटुम्बिक पुरुषों (सेवकों) को बुलाया और उनको इस के प्रकार का आदेश दिया-“देवानुप्रियो! तुम बाहर की उपस्थानशाला को आज शीघ्र ही विशेष
रूप से गन्धोदक छिड़क कर स्वच्छ करो और लीप कर शुद्ध करो। सुगन्धित और उत्तम पाँच ॐ वर्ण के पुष्पों से सुसज्जित करो, उत्तम कालागुरु और कुन्दरुक के धूप से यावत् सुगन्धित गुटिका के समान करो-कराओ, फिर वहाँ सिंहासन रखो। ये सब कार्य करके मुझे वापस निवेदन करो।"
26. As the dawn approached King Bal summoned the members of his staff and instructed, “O beloved of gods ! Hurry up and get the outer 5
ग्यारहवाँशतक : ग्यारहवाँ उद्देशक
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Eleventh Shatak : Eleventh Lesson