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________________ 8 5 5 5 5 5 5 95 95 95 95 95 95 95 9595959559595 95 95 95 95 95 95 95 9555555559595 18 फफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफ [उ.] गोयमा ! से जहानामए नट्टिया सिया सिंगारागारचारुवेसा जाव कलिया रंगद्वाणंसि जणसयाउलंसि जणसयसहस्साउलंसि बत्तीसइविहस्स नट्टस्स अन्नयरं नट्टविहिं उवदंसेज्जा । [प्र. ] से नूणं गोयमा ! ते पेच्छगा तं नट्टियं अणिमिसाए दिट्ठीए सव्वओ समंता समभिलोएंति ? [उ. ] 'हंता, समभिलोएंति । ' [प्र. ] ताओ णं गोयमा ! दिट्ठीओ तंसि नट्टियंसि सव्वओ समंता संन्निपडियाओ ? [3] 'हंता, सन्निपडियाओ । ' [प्र.] अस्थि णं गोयमा ! ताओ दिट्ठीओ तीसे नट्टियाए किंचि वि आबाहं वा वाबाहं वा उप्पाएंति, छविच्छेदं वा करेंति ? [उ. ] 'नो इणट्ठे समट्ठे । ' [प्र.] अहवा सा नट्टिया तासिं दिट्ठीणं किंचि आबाहं वा वाबाहं वा उप्पाएइ, छविच्छेदं वा करेइ ? [उ. ] 'नो इणट्ठे समट्ठे । ' [प्र.] ताओ वा दिट्ठीओ अन्नमन्नाए दिट्ठीए किंचि आबाहं वा वाबाहं वा उप्पाएंति, छविच्छेदं वा करेंति ? [उ. ] 'नो इणट्ठे समट्ठे । ' से तेणट्ठेणं - गोयमा ! एवं वुच्चइ तं चेव जाव छविच्छेदं वा करेंति । २८ - २ [प्र.] भगवन्! यह किस कारण से कहा है कि लोक के एक आकाश प्रदेश में एकेन्द्रिय आदि जीव प्रदेश परस्पर बद्ध यावत् सम्बद्ध हैं, फिर भी वे एक-दूसरे को बाधा या व्याबाधा नहीं पहुँचाते ? और अवयवों का छेदन नहीं करते ? [उ.] गौतम! जिस प्रकार कोई श्रृंगारित एवं उत्तम वेष वाली यावत् सुन्दर गति, हास्य, भाषण, चेष्टा, विलास, ललित संलाप निपुण, युक्त उपचार से युक्त नर्तकी सैंकड़ों और लाखों व्यक्तियों से परिपूर्ण रंगस्थली में बत्तीस प्रकार के नाट्यों में से कोई एक नाट्य दिखाती है, तो - [प्र.] गौतम! क्या दर्शक लोग उस नर्तकी को अनिमेष दृष्टि से चारों ओर से देखते हैं ? [उ.] हाँ, भगवन्! देखते हैं । [प्र.] गौतम ! उन ( दर्शकों) की दृष्टियाँ चारों ओर से उस नर्तकी पर पड़ती हैं? [उ.] हाँ, भगवन् ! पड़ती है। ग्यारहवाँ शतक : दसवाँ उद्देशक (157) Eleventh Shatak: Tenth Lesson फफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफ फफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफ
SR No.002493
Book TitleAgam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapati Sutra Part 04 Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmarmuni
PublisherPadma Prakashan
Publication Year2013
Total Pages618
LanguageHindi, Prakrit, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size22 MB
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