________________
२७-२. [प्र.] भगवन् ! उन देवों का गतक्षेत्र अधिक है, या अगतक्षेत्र अधिक है? 卐 ___ [उ.] गौतम! वहाँ गतक्षेत्र बहुत नहीं, अगतक्षेत्र ही बहुत है। गतक्षेत्र से अगतक्षेत्र है ॐ अनन्तगुणा है। अगतक्षेत्र से गतक्षेत्र अनन्तवें भाग है। हे गौतम! अलोक इतना बड़ा है।
27-2. [Q] Bhante ! Is the part crossed by those gods greater or that ॐ not yet crossed is larger ?
[Ans.] Gautam ! The part crossed by those gods is greater. The part 4 yet to be crossed is only an innumerable part of the crossed one. The
traversed part is innumerable times more than that not yet crossed. O Gautam ! The Alok is so vast. आकाशप्रदेश पर परस्पर-सम्बद्ध जीवों का निराबाध अवस्थान INTERCONNECTION OF SOUL-SPACE-POINTS
२८-१. [प्र.] लोगस्स णं भंते ! एगम्मि आगासपएसे जे एगिदियपएसा जाव पंचिंदियपएसा अणिंदियपएसा अन्नमन्नबद्धा अन्नमन्नपुट्ठा जाव अन्नमन्नसमभरघडत्ताए चिट्ठति ? अस्थि णं भंते ! अन्नमन्नस्स किंचि आबाहं वा वाबाहं वा उप्पाएंति, छविच्छेद वा करेंति?
[उ.] नो इणढे समठे।
२८-१. [प्र.] भगवन् ! लोक के एक आकाश प्रदेश पर एकेन्द्रिय जीवों के जो प्रदेश हैं, म यावत् पंचेन्द्रिय जीवों के और अनिन्द्रिय जीवों के जो प्रदेश हैं, क्या वे सभी एक-दूसरे के साथ 卐 बद्ध, हैं, अन्योन्य स्पृष्ट हैं यावत् परस्पर-सम्बद्ध हैं? भगवन् ! क्या वे परस्पर एक-दूसरे को
आबाधा (पीड़ा) और व्याबाधा (विशेष पीड़ा) उत्पन्न करते हैं? तथा क्या वे उनके अवयवों का के छेदन करते हैं?
[उ.] गौतम! यह अर्थ समर्थ (सही) नहीं है।
28-1. [Q.] Bhante ! Are the space-points (pradesh) of one-sensed beings... and so on up to... five-sensed beings as well as non-sensed beings occupying a single point of space, linked together or touching one another,... and so on up to... mutually connected ? Bhante ! Do they cause pain and intense pain to each other? And do they pierce parts of each other?
[Ans.] Gautam ! This statement is not correct.
२८-२. [प्र.] से केणट्टेणं भंते ! एवं वुच्चइ लोयस्स णं एगम्मि आगासपएसे जे एगिदियपएसा जाव चिट्ठति नत्थि णं भंते! अन्नमन्नस्स किंचि आबाहं वा जाव करेंति? ।
भगवती सूत्र (४)
(156)
Bhagavati Sutra (4) |