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⊗5555555555555555555555555555555555555⊗ and a maximum of uncountable period. For that period it remains and
moves back and forth (in those states). ३३. [ प्र. ] से णं भंते! उप्पलजीवे आउजीवे. ?
[ उ ] एवं चेव ।
३३. [प्र.] भगवन्! वह उत्पल का जीव, अप्काय के रूप में उत्पन्न होवे और पुनः उत्पल में आए तो इसमें कितना काल व्यतीत हो जाता है ? वह कितने काल तक गमनागमन करता है ? [उ.] गौतम! जिस प्रकार पृथ्वीकाय के विषय में कहा, उसी प्रकार भवादेश से और कालादेश से अप्काय के विषय में कहना चाहिए ।
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33. [Q.] Bhante! If that soul in Utpal takes rebirth as a waterbodied being and then returns to be born again in Utpal, how long does it take? How long does it continue to move thus back and forth?
[Ans.] Gautam ! What has been mentioned with regard to earthbodied being should be repeated hear, both in terms of rebirths and time.
३४. एवं जहा पुढविजीवे भणिए तहा जाव वाउजीवे भाणियव्वे ।
[३४] इसी प्रकार जैसे - ( उत्पलजीव के) पृथ्वीकाय में गमनागमन के विषय में कहा, उसी प्रकार यावत् वाकाय जीव तक के विषय में कहना चाहिए ।
and so
34. In the same way what has been mentioned with regard to earthbodied being should also be repeated for other bodied beings. on up to ... air-bodied beings, both in terms of rebirths and time.
३५. [ प्र.] से णं भंते! उप्पलजीवे से वणस्सइजीवे, से वणस्सइजीवे पुरवि उप्पलजीवे त्ति केवइयं कालं सेवेज्जा, केवइयं कालं गइरागई करेज्जा ?
[ उ. ] गोयमा भवाएसेणं जहन्नेणं दो भवग्गहणाइं, उक्कोसेणं अणंताइं भवग्गहणाईं । काला सेणं जहन्नेणं दो अंतोमुहुत्ता, उक्कोसेणं अनंतं कालं - तरुकालं, एवइयं कालं सेवेज्जा, एवइयं कालं गइरागई करेज्जा ।
३५. [प्र.] भगवन्! वह उत्पल का जीव, वनस्पति के रूप में उत्पन्न हो और वह पुनः उत्पल के जीव में आए, इस प्रकार वह कितने काल तक रहता है? कितने काल तक गमनागमन करता है?
[उ.] गौतम! भवादेश से वह ( उत्पल का जीव) जघन्य दो भव ग्रहण करता है और उत्कृष्ट अनन्त भव ग्रहण करता है । कालादेश से जघन्य दो अन्तर्मुहूर्त्त तक, उत्कृष्ट अनन्तकाल
ग्यारहवाँ शतक : प्रथम उद्देशक
(93)
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Eleventh Shatak: First Lesson
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