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⊗55555555555555555555555555555555555卐卐⊗ २६-२७ - अनुबन्ध - संवेध-द्वार
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26, 27. THEMES OF ANUBANDH (REBORN IN SAME GENUS) AND SAMVEDH (REBORN IN OTHER GENUS)
३१. [ प्र. ] से णं भंते ! 'उप्पलजीवे' त्ति कालओ केवचिरं होइ ?
[ उ. ] गोयमा ! जहन्नेणं अंतोमुहुत्तं, उक्कोसेणं असंखेज्जं कालं । [ दारं २६ ] | [प्र.] भगवन्! वह उत्पल का जीव उत्पलत्व में कितने काल तक रहता है ?
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३१.
[उ.] गौतम! वह जघन्यतः अन्तर्मुहूर्त और उत्कृष्टतः असंख्यात काल तक रहता है।
31. [Q.] Bhante ! For what duration that soul in Utpal remains in that state ?
[-छब्बीसवाँ द्वार]
[Ans.] Gautam ! It remains in that state for a minimum period of Antarmuhurt (a unit of time slightly less than 48 minutes) and a 5 maximum of uncountable time. [- the twenty-sixth theme]
३२. [ प्र. ] से णं भंते ! उप्पलजीवे 'पुढविजीवे' पुणरवि 'उप्पलजीवे' त्ति केवइयं
कालं सेवेज्जा ? केवइयं कालं गइरागइं करेज्जा ?
[उ. ] गोयमा ! भवादेसेणं जहन्नेणं दो भवरगहणाई, उक्कोसेणं असंखेज्जाई भवग्गहणाईं। कालादेसेणं जहन्नेणं दो अंतोमुहुत्ता, उक्कोसेणं असंखेज्जं कालं । एवइयं कालं सेवेज्जा, एवइयं कालं गइरागई करेज्जा ।
३२. [प्र.] भगवन्! वह उत्पल का जीव, पृथ्वीकाय में जावे और पुनः उत्पल में आवे, इस प्रकार उसका कितना काल व्यतीत हो जाता है? कितने काल तक वह गमनागमन (गति - आगति) करता है?
[उ.] गौतम ! वह उत्पल का जीव भव की अपेक्षा से जघन्य दो भव ग्रहण करता है और उत्कृष्ट असंख्यात भव तक गमनागमन करता है। काल की अपेक्षा से जघन्य दो अन्तर्मुहूर्त तक
और उत्कृष्ट असंख्यात काल तक गमनागमन करता है। उतने काल तक वह रहता है और गति - आगति करता है।
32. [Q.] Bhante ! If that soul in Utpal takes rebirth as an earthbodied being and then returns to be born again in Utpal, how long does it take? How long does it continue to move thus back and forth?
[Ans.] Gautam! In terms of rebirths it moves back and forth for a minimum of two rebirths and a maximum of innumerable rebirths. In terms of time it moves back and forth for a minimum of two Antarmuhurts
भगवती सूत्र (४)
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Bhagavati Sutra ( 4 )
(92)
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