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[उ.] गोयमा ! एगजीवे, नो अणेगजीवे । तेण परं जे अण्णे जीवा उववज्जंति ते णं नो एगजीवा, अणेगजीवे ।
३. [प्र.] भगवन् ! एक पत्र वाला उत्पल (कमल) एक जीव वाला है या अनेक जीव वाला ?
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[उ.] गौतम ! एक पत्र वाला उत्पल एक जीव वाला है, अनेक जीव वाला नहीं। उसके पश्चात् जब उस उत्पल में दूसरे जीव (जीवाश्रित पत्ते आदि अवयव) उत्पन्न होते हैं, तब वह एक. जीव वाला नहीं रह कर अनेक जीव वाला बन जाता है।
3. [Q.] Bhante! Does an Utpal (a kind of lotus) with one petal have one soul (jiva) or many?
[Ans.] Gautam ! ( Originally) An Utpal (a kind of lotus) with one petal has one soul (jiva) not many. However, when later other souls are born (soul-carrying parts like petals sprout) on it, then it no longer remains a single-soul but carries many souls.
४. [ प्र. ] ते णं भंते ! जीवा कओहिंतो उववज्जति ? किं नेरइएहिंतो उववज्जति, तिरिक्ख जोणिएहिंतो उववज्जति, मणुस्सेहिंतो उववज्जति, देवेहिंतो उववज्जंति ?
[उ.] गोयमा ! नो नेरइएहिंतो उववज्जंति, तिरिक्ख जोणिएहिंतो वि उववज्जंति, मणुस्सेहिंतो वि उववज्जंति, देवेहिंतो वि उववज्जंति । एवं उववाओ भाणियव्वो जहां वक्कंती वणस्सइकाइयाणं जाव ईसाणे त्ति ।
४. [प्र.] भगवन् ! उत्पल में वे जीव कहाँ से आकर उत्पन्न होते हैं? क्या वे नैरयिकों से आकर उत्पन्न होते हैं, या तिर्यञ्चयोनिकों से उत्पन्न होते हैं अथवा मनुष्यों से आकर उत्पन्न होते हैं या देवों में से आकर उत्पन्न होते हैं ?
[उ.] गौतम! वे जीव नारकों से आकर उत्पन्न नहीं होते हैं, वे तिर्यञ्चयोनिकों से, मनुष्यों से और देवों से आकर उत्पन्न होते हैं। इस प्रकार प्रज्ञापना सूत्र के छठे व्युत्क्रान्ति पद के अनुसारवनस्पतिकायिक जीवों में यावत् ईशान - देवलोक तक के जीवों का उपपात होता है। यहाँ तक कहना चाहिये।
4. [Q] Bhante! Wherefrom these souls come, to be born in an Utpal ? Do they come from among infernal beings, animals, human beings or divine beings ?
[Ans.] Gautam! To be born in an Utpal, these souls do not come from among infernal beings. They come from among animals, human
भगवती
सूत्र (४)
(72)
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Bhagavati Sutra ( 4 )
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