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or raise a family of sixteen thousand goddesses. Thus, all told, the total number of goddesses is one lac twenty-eight thousand. This is called a group (trutik or varga).
३०. [ प्र. ] पभू णं भंते! सक्के देविंदे देवराया सोहम्मे कप्पे सोहम्मवडेंसए विमा सभाए सुहम्माए सक्कंसि सीहासणंसि तुडिएणं सद्धि० ।
[उ. ] सेसं जहा चमरस्स | नवरं परियारो जहा मोउद्देसए (स. ३ उ. १ सु. १५) ।
३०. [प्र.] भगवन्! क्या देवेन्द्र देवराज शक्र, सौधर्म -कल्प (देवलोक ) में, सौधर्मावतंसक विमान में सुधर्मा सभा में, शक्र नामक सिंहासन पर बैठ कर अपने (उक्त त्रुटिक के साथ भोग भोगने में समर्थ है ?
[उ.] ( आर्यो!) इसका समग्र वर्णन चमरेन्द्र के समान है। विशेष इतना ही है कि इसके परिवार का कथन भगवती सूत्र के तीसरे शतक के प्रथम उद्देशक में कहे अनुसार जान लेना चाहिए ।
30. [Q.] Bhante ! Can Shakrendra, the king of gods, enjoy divine pleasures sitting on the Shakra throne in his Sudharma assembly in his celestial vehicle Saudharmavatamsak in Saudharma divine realm along with the said group of goddesses?
[Ans.] (Noble ones!) All this description follows the pattern of Chamarendra. More details about his family should be taken to be same as those mentioned in the first lesson, of the third chapter of Bhagavati Sutra.
३१. [प्र.] सक्कस्स णं देविंदस्स देवरण्णो सोमस्स महारण्णो कइ अग्गमहिसीओ० पुच्छा।
[उ.] अज्जो ! चत्तारि अग्गमहिसीओ पन्नत्ताओ, तं जहा - रोहिणी १, मदणा २, चित्ता ३, सोमा ४ । तत्थ णं एगमेगा०, सेसं जहा चमरलोगपालाणं । नवरं सयंपभे विमाणे सभाए सुहम्मा सोमंसि सीहासणंसि, सेसं तं चेव । एवं जाव वेसमणस्स, नवरं विमाणाइं जहा तइयसए (स. ३ उ. ७)।
३१. [प्र.] भगवन्! देवेन्द्र देवराज शक्र के लोकपाल सोम महाराज की कितनी अग्रमहिषियाँ हैं ?
[उ.] आर्यो ! (लोकपाल सोम महाराजा की) चार अग्रमहिषियाँ हैं - १. रोहिणी, २. मदना, ३. चित्रा और ४. सोमा । इनमें से प्रत्येक अग्रमहिषी के देवी - परिवार का वर्णन चमरेन्द्र के
भगवती सूत्र (४)
(62)
Bhagavati Sutra (4)
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