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polesalistsleaks aske sakasleshe skesaleshe slesalesslesslesaksieskasatseksisteslesalesterslesalesakslasheskesekesekeskage 11. सचित्र औपपातिक सूत्र
मूल्य 600/यह प्रथम उपांग है। इसमें राजा कूणिक का भगवान महावीर की वन्दनार्थ प्रस्थान, दर्शन-यात्रा तथा भगवान की धर्मदेशना, धर्म प्ररूपणा आदि विषयों का बहुत ही विस्तृत लालित्ययुक्त वर्णन है। इसी में अम्बड़ परिव्राजक आदि अनेक परिव्राजकों की तपः
साधना का वर्णन भी है। 12. सचित्र रायपसेणिय सूत्र
मूल्य 600/यह द्वितीय उपांग है। धर्मद्वेषी प्रदेशी राजा को धर्मबोध देकर धार्मिक बनाने वाले ज्ञानी आचार्य केशीकुमार श्रमण के साथ आत्मा, परलोक, पुनर्जन्म आदि विषयों पर हुई अध्यात्म-चर्चा प्रत्येक जिज्ञासु के लिए पठनीय ज्ञानवर्द्धक है। आत्मा और शरीर की भिन्नता समझाने वाले उदाहरणों के चित्र भी बोधप्रद हैं। 13. सचित्र कल्पसूत्र
मूल्य 600/कल्पसूत्र का पठन, पर्युषण में विशेष रूप में होता है। इसमें 24 तीर्थंकरों का जीवन-चरित्र है। साथ ही भगवान महावीर का विस्तृत जीवन-चरित्र, श्रमण समाचारी तथा स्थविरावली का वर्णन है। 24 तीर्थंकरों के जीवन से सम्बन्धित सुरम्य चित्रों के कारण सभी के लिए
आकर्षक उपयोगी है। 14. सचित्र छेद सूत्र (दशा-कल्प-व्यवहार)
मूल्य 600/आचार-शुद्धि के लिए जिन आगमों में विशेष विधान है, उन्हें 'छेद सूत्र' कहा गया। है छेद सूत्रों में आचार-शुद्धि के सूक्ष्म से सूक्ष्म नियमों का वर्णन है। चार छेद सूत्रों में दशाश्रुतस्कन्ध, बृहत्कल्प तथा व्यवहार-ये तीन छेद सूत्र सभी श्रमण-श्रमणियों के लिए विशेष पठनीय हैं। प्रस्तुत भाग में तीनों छेद सूत्रों का भाष्य आदि के आधार पर विवेचन
है। यह अंग्रेजी अनुवाद तथा 15 रंगीन चित्रों सहित है। 15. सचित्र भगवती सूत्र (भाग 1, 2, 3)
मूल्य 1800/पंचम अंग व्याख्याप्रज्ञप्ति सूत्र ‘भगवती' के नाम से अधिक प्रसिद्ध है। इसमें जीव, द्रव्य, पुद्गल, परमाणु, लोक आदि चारों अनुयोगों से सम्बन्धित हजारों प्रश्नोत्तर हैं। यह विशाल आगम जैन तत्व विद्या का महासागर है। संक्षिप्त और सुबोध अनुवाद व विवेचन के साथ यह आगम लगभग 6 भाग में पूर्ण होने की सम्भावना है। प्रथम भाग 1 से 4 शतक तक तथा 15 रंगीन चित्रों सहित प्रकाशित है। द्वितीय भाग में 5 से 7 शतक सम्पूर्ण तथा 9वें शतक का प्रथम उद्देशक लिया गया है। इस भाग में 15 रंगीन चित्र लिये गये हैं। तृतीय भाग में आठवें शतक के द्वितीय उद्देशक से नवें शतक तक सम्पूर्ण लिया गया है। साथ ही यह विषय को स्पष्ट करने वाले 22 रंगीन भाव पूर्ण चित्रों से युक्त है।
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परिशिष्ट
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Shravak Avashyak Sutra