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जीवन-चरित्र, उनकी छद्मस्थ चर्या का आँखों देखा वर्णन तथा जैन श्रमण का आचार-विचार
दूसरे भाग में है। दोनों भाग विविध ऐतिहासिक व सांस्कृतिक चित्रों से युक्त हैं। 6. सचित्र स्थानांग सूत्र (भाग 1, 2)
मूल्य 1, 200/यह चौथा अंग सूत्र है। अपनी खास संख्या प्रधान शैली में संकलित यह शास्त्र ज्ञान, विज्ञान, ज्योतिष, भूगोल, गणित, इतिहास, नीति, आचार, मनोविज्ञान, पुरुष-परीक्षा आदि सैकडों प्रकार के विषयों का ज्ञान देने वाला बहुत ही विशालकाय शास्त्र है। भावार्थ और
विवेचन के कारण प्रत्येक पाठक के लिए समझने में सरल और ज्ञानवर्धक है। 7. सचित्र ज्ञाताधर्मकथा सूत्र (भाग 1, 2)
मूल्य 1, 000/___भगवान महावीर द्वारा प्रवचनों में प्रयुक्त धर्मकथाएँ, उद्बोधक, रूपक, दृष्टान्त आदि
जिनके माध्यम से तत्त्वज्ञान सहज ही ग्राह्य हो गया है। विविध रोचक रंगीन चित्रों से युक्त।
दो भागों में सम्पूर्ण आगम। 8. सचित्र उपासकदशा एवं अनुत्तरौपपातिकदशा सूत्र
मूल्य 600/सप्तम अंग उपासकदशा में भगवान महावीर के प्रमुख 10 श्रावकों का जीवन-चरित्र तथा उनके श्रावक धर्म का रोचक वर्णन है। नवम अंग अनुत्तरौपपातिकदशा में उत्कृष्ट तपः ‘साधना करने वाले 33 श्रमणों की तप ध्यान-साधना का रोमांचक वर्णन है। भावों को स्पष्ट
करने वाले कलात्मक रंगीन चित्रों सहित। 9. सचित्र निरयावलिका एवं विपाक सूत्र मूल्य 600/
निरयावलिका में पाँच उपांग हैं। भगवान महावीर के परम भक्त राजा कूणिक के जन्म आदि का वर्णन तथा वैशाली गणतंत्राध्यक्ष चेटक के साथ हुए महाशिलाकंटक युद्ध का रोमांचक चित्रण तथा भगवान अरिष्टनेमि एवं भगवान पार्श्वनाथ के शासन में दीक्षित अनेक • श्रमण-श्रमणियों का चरित्र इनमें है। विपाक सूत्र में अशुभ कर्मों के अत्यन्त कटु फल का वर्णन है, जिसे सुनते ही हृदय द्रवित हो जाता है, तथा सुखविपाक में दान, तप आदि शुभ कर्मों के महान् सुखदायी पुण्य फलों
का मुँह बोलता वर्णन है। भावपूर्ण रोचक कलापूर्ण चित्रों के साथ 10. सचित्र अन्तकृद्दशा सूत्र
मूल्य 500/आठवें अंग अन्तकृद्दशा सूत्र में मोक्षगामी 90 महान् आत्म-साधक श्रमण-श्रमणियों के तपोमय साधना जीवन का प्रेरक वर्णन है। यह सूत्र पर्युषण में विशेष रूप में पठनीय है।
विविध चित्र व तपों के चित्रों से समझने में सरल सुबोध है। Shravak Avashyak Sutra // 275 //
परिशिष्ट A
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