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________________ stuskeskuskuskeskuskeskuskeskuslukeskukskeskuskeskuskuskeskuskeskuskeskuskeskuskeskuskeskskskskskskek k k 16. सचित्र जम्बूद्वीप प्रज्ञप्ति सूत्र मूल्य 600/यह छठा उपांग है। इस सूत्र का मुख्य विषय जम्बूद्वीप का विस्तृत वर्णन है। जम्बूद्वीप में आये मानव क्षेत्र, पर्वत, नदियाँ, महाविदेह क्षेत्र, मेरु पर्वत तथा मेरु पर्वत की प्रदक्षिणा करते सूर्य-चन्द्र आदि ग्रह नक्षत्र, अवसर्पिणी, उत्सर्पिणी आदि के विस्तृत वर्णन के साथ ही चौदह कुलकर, प्रथम तीर्थंकर भगवान ऋषभदेव का चरित्र, सम्राट भरत चक्रवर्ती की षट्खण्ड विजय आदि अनेक विषयों का वर्णन भी इस सूत्र में आता है। इसमें दिये रंगीन चित्र जम्बूद्वीप की भौगोलिक स्थिति, सूर्य-चन्द्र आदि ग्रहों की गति समझने में काफी उपयोगी सिद्ध होंगे। यह सूत्र जैन, भूगोल, खगोल और इतिहास का ज्ञानकोष है। 17. सचित्र प्रश्नव्याकरण सूत्र मूल्य 600/प्रश्नव्याकरण अर्थात् प्रश्नों का व्याकरण, समाधान, उत्तर। मानव मन में सदा से यह प्रश्न उठता रहा है कि राग-द्वेष जनित वे कौन-से भंयकर विकार हैं जो आत्मा को मलिन करके दुर्गति में ले जाते हैं और इनसे कैसे बचा जाए? इन प्रश्नों के समाधान स्वरूप प्रश्नव्याकरण सूत्र में इनका विस्तृत वर्णन किया गया है। इन्हें आगम की भाषा में आश्रव कहते हैं। ये आश्रव हैं-हिंसा, असत्य , चौर्य, अब्रह्मचर्य और परिग्रह। इन आश्रवों का स्वरूप और इनसे होने वाले दुःखों को इस सूत्र में भलीभाँति समझाया गया है। साथ ही इन पाँच आश्रवरूपी शत्रुओं से बचने हेतु अहिंसा, सत्य, अस्तेय, ब्रह्मचर्य एवं अपरिग्रह-ये पाँच संवर बताये गये हैं। संवर से भावित आत्मा, राग-द्वेष जनित विकारों से दूर रहती है। आश्रव-संवर वर्णन में ही समग्र जिन प्रवचन का सार आ जाता है। इस प्रकार 23 जिल्दों में 24 आगम तथा कल्पसूत्र प्रकाशित हो चुके हैं। प्राकृत अथवा हिन्दी का साधारण ज्ञान रखने वाले व्यक्ति भी अंग्रेजी माध्यम से जैनशास्त्रों का भाव, उस समय की आचार-विचार प्रणाली आदि को अच्छी प्रकार से समझ सकते हैं। अंग्रेजी शब्द कोष भी दिया गया है। पस्तकालयों ज्ञान-भण्डारों तथा संत-सतियों, स्वाध्यायियों के लिए विशेष रूप से संग्रह करने योग्य है। इस आगममाला के प्रकाशन में परम श्रद्धेय उत्तर भारतीय प्रवर्तक गुरुदेव भण्डारी श्री पद्मचन्द्र जी म. की अत्यन्त बलवती प्रेरणा रही है। उनके शिष्यरत्न जैन शासन दिवाकर आगमज्ञाता उत्तर भारतीय प्रवर्तक श्री अमर मुनि जी म. द्वारा सम्पादित हैं, इनके सह-सम्पादक हैं प्रसिद्ध विद्वान् श्रीचन्द सुराना। अंग्रेजी अनुवादकर्ता हैं श्री सुरेन्द्र बोथरा तथा सुश्रावक श्री राजकुमार जी जैन। ००० परिशिष्ट Sa Shravak Avashyak Sutra r a // 277 // rararamraparamage
SR No.002489
Book TitleAgam 28 Mool 01 Aavashyak Sutra Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmarmuni
PublisherPadma Prakashan
Publication Year2012
Total Pages358
LanguageHindi, Prakrit, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_aavashyak
File Size15 MB
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