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पंचम आवश्यक : कायोत्सर्ग
Fifth Aavashyak: Kayotsarg
निर्देश - पंचम आवश्यक की आज्ञा के विधान के रूप में निम्न सूत्र पढ़ें
Direction: In order to seek permission for fifth avashyak recite the following aphorism.
आवस्सही सूत्र
आवस्सही इच्छाकारेण, संदिसह भगवं! देवसि ज्ञान-दर्शन चरित्ताचरित्त-तपअतिचार- पायच्छित्त विशोधनार्थं करेमि काउसग्गं ।
भावार्थ : हे भगवन्! आप आज्ञा प्रदान करें, मैं आवश्यक रूप से करणीय धर्म-कार्य करने का इच्छुक हूं। दिवस संबंधी ज्ञान, दर्शन, श्रावक - व्रत एवं तप में लगे हुए अतिचारों की शुद्धि के लिए कायोत्सर्ग करता हूं।
Exposition: O Bhagwan! Kindly grant me permission. I want to do the worthy spiritual act in the form of avashyak. In order to purify myself from the faults (atichars) committed by me during the day in respect of right knowledge, right perception, vows of Shravak and austerities, I do kayotsarg.
विधि : तत्पश्चात् गुरु महाराज से पंचम आवश्यक की आज्ञा लेकर क्रमशः नमोकार मंत्र, सामायिक सूत्र ( करेमि भंते ), इच्छामि ठामि एवं उत्तरीकरण सूत्र को पढ़कर ‘चतुर्विंशतिस्तव' सूत्र के मनन पूर्वक कायोत्सर्ग करें।
देवसी और रात्रि प्रतिक्रमण में चार, पक्खी के दिन आठ, चातुर्मासी को बारह एवं सम्वत्सरी को बीस लोगस्स का ध्यान करना चाहिए।
नमोकार मंत्र के उच्चारण के साथ कायोत्सर्ग संपन्न करें एवं एक लोगस्स मुखर स्वर में पढ़ें। उसके बाद 'इच्छामि खमासमणो' के पाठ से गुरु महाराज को वन्दन करते हुए पंचम आवश्यक संपन्न करें।
श्रावक आवश्यक सूत्र
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Vth Chp. : Kayotsarg