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proper time. In case I have committed any such fault, I feel sorry for them. My such fault may be condoned.
भावार्थ : साधु द्वारा ग्रहण किए गए व्रत 'महाव्रत' एवं श्रावक द्वारा ग्रहण किए गए व्रत ‘अणुव्रत' कहलाते हैं। अणुव्रत का अर्थ है - आंशिक रूप से ग्रहण किया गया व्रत । साधु तीन करण (करना, कराना एवं अनुमोदन करना) एवं तीन योग (मन, वचन एवं काय) से व्रत धारण करता है, जबकि श्रावक दो करण और तीन योग से, अथवा इससे भी कम स्तर पर व्रत धारण करता है। इसीलिए उस द्वारा ग्रहण किए गए व्रत 'अणुव्रत' कहे जाते हैं। '
प्रस्तुत पाठ में स्व-शरीर में पीड़ा उत्पन्न करने वाले, सगे-संबंधियों के लिए कष्ट उत्पन्न करने वाले एवं किसी भी प्रकार का राजकीय या सामाजिक अपराध करने वाले प्राणियों को दण्डित करने का विकल्प श्रावक खुला रखता है। पारिवारिक, सामाजिक एवं राष्ट्रीय दायित्वों का भार श्रावक के कन्धों पर होता है, इसलिए उसे अपराधियों को दण्ड देने के लिए विवश होना पड़ता है। जैन धर्म के अनुसार श्रावक के संदर्भ में अहिंसा का अर्थ है-न स्वयं जुल्म करना और न ही जुल्म सहना । जुल्म करना तो हिंसा है ही, जुल्म सहना भी हिंसा है। इसीलिए श्रावक अपराधियों को दण्डित करने का विकल्प खुला रखता है। शेष समस्त त्रस प्राणियों को जानते-बूझते, मारने की बुद्धि से मारने का वह त्याग करता है।
अनजाने में होने वाली हिंसा का विकल्प भी श्रावक के लिए खुला है। क्योंकि व्याप करते हुए, कृषि करते हुए, वाहन आदि से आवागमन करते हुए त्रस प्राणियों की हिंसा हो जाना अस्वाभाविक नहीं है। परन्तु उस हिंसा में श्रावक के हृदय में हिंसक विचार नहीं होता है।
(पांच अतिचारों का सरलार्थ पृष्ठ 209 पर किया जा चुका
है।)
Explanation: The vows accepted by an ascetic are called major vows and those by Shravak are called minor (or partial) vows. Anuvrat means a vow that has been accepted in part. A monk accepts a vow in three ways (mentally, physically and orally) and in three forms (doing, getting done and appreciating) while a Shravak takes the vows in three ways and in two forms (doing and getting done). He can accept a vow even in a lesser form than this. So his vows are called Partial Vows.
In this resolve, a householder (Shravak) is free to punish those who cause hurt in his body, or cause trouble to his relatives or in any form commit a crime punishable under the law or social crime. A Shravak has to discharge duties towards his family, society and the state. So he has to punish such criminal or defaulters. In Jainism the Ahinsa (non-violence in the context of a Shravak is that he shall neither चतुर्थ अध्ययन : प्रतिक्रमण
Shravak Avashyak Sutra
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