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________________ सभी निषध और नीलवन्त वर्षधर । पर्वत चार-चार सौ योजन ऊंचे तथा चार-चार सौ गव्यूति उद्वेध तपनीय स्वर्णमय निषध अनेक मणिरल युक्त स्तंभ सम्पूर्ण वरलमय 1 गव्यूति - 1 कोस 4 कोस- 1 योजन सम पृथ्वी 400 योजन 400 गव्यूति जमीन के अन्दर गहरा (गहराई) वाले हैं। (श्लोक 462) - ध्वजा अनेक मणिरल युक्त स्तंभ नीलवंत पर्वत 500 योजन सम्पूर्ण रत्नमय 1 गव्यूति - 1 कोस 4 कोस - 1 योजन सम पथ्वी 400 योजन 400 गव्यूति जमीन के अन्दर गहरा वक्षस्कार पर्वत (श्लोक 462) -500 योजन 4कूट चित्त विचित्त यमक यमक पर्वत (श्लोक 483) 1,000 योजन 500 योजन निषध पर्वत 400 योजन सम पृथ्वी -1,000 योजन 0400 गव्यूति जमीन के महाविदेह क्षेत्र की प्रत्येक विजय की। अन्दर गहरा सीमा पर वक्षस्कार पर्वत स्थित है। 1,000 कोश जमीन के अन्दर गहरा प्रत्येक महाविदेह क्षेत्र में देवकुरु उत्तरकुरु में कुल 4 हैं
SR No.002488
Book TitleAgam 04 Ang 04 Samvayang Sutra Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmarmuni
PublisherPadma Prakashan
Publication Year2013
Total Pages446
LanguageHindi, Prakrit, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_samvayang
File Size18 MB
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