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________________ 听听听听FFFFF 乐乐 乐听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听 甲虫 ८. शैक्ष साधु की आठवीं आशातना है कि वह रात्निक साधु के साथ बराबरी से बैठे। ९. शैक्ष साधु की नवीं आशातना है कि वह रानिक साधु के अति निकट बैठे। १०. शैक्ष साधु की दसवीं आशातना है कि वह रानिक साधु के साथ बाहर विहार भूमि के | लिए निकले तो वह रात्निक साधु के पूर्व आचमन (शौच-शुद्धि) की क्रिया सम्पन्न करे। ११. शैक्ष साधु की ग्यारहवीं आशातना है कि वह रात्निक साधु के साथ बाहर विचार भूमि या विहारभूमि के लिए निकले तो वह रात्निक साधु से पूर्व आलोचना करे और रात्निक साधु __ पीछे करे। १२. शैक्ष साधु की बारहवीं आशातना है कि जब कोई साधु या गृहस्थ रानिक साधु के साथ पहले से बात कर रहा हो तो वह रानिक साधु से पहले ही बोले और रात्निक साधु पीछे | बोले। १३. शैक्ष साधु की तेरहवीं आशातना है कि रात्निक साधु रात्रि में या विकाल में उससे पूछे कि • आर्य! कौन सो रहे हैं और कौन जाग रहे हैं? यह सुनकर भी वह अनसुनी करके कोई उत्तर न दे। १४. शैक्ष साधु की चौदहवीं आशातना है कि वह अशन, पान, खादिम या स्वादिम लाकर सबसे पहले किसी अन्य शैक्ष साधु के सामने आलोचना करे तदुपरान्त रानिक साधु के . सामने आलोचना करे। १५. शैक्ष साधु की पन्द्रहवीं आशातना है कि वह अशन, पान, खादिम या स्वादिम को लाकर पहले किसी अन्य शैक्ष साधु को दिखलावे तदुपरान्त रात्निक साधु को दिखावे। १६. शैक्ष साधु की सोलहवीं आशातना है कि वह अशन, पान, खादिम या स्वादिम - आहार लाकर पहले किसी अन्य शैक्ष साधु को भोजन के लिए निमन्त्रण दे, तदुपरान्त रात्रिक साधु को निमन्त्रण दे। शैक्ष साधु की सत्तरहवीं आशातना है कि वह रात्रिक साधु के साथ अशन, पान, खादिम | और स्वादिम आहार को लाकर रात्निक साधु से बिना पूछे उस आहार को किसी को दे। १८. शैक्ष साधु की अठारहवीं आशातना है कि वह अशन पान, खादिम, स्वादिम आहार लाकर रानिक साधु के साथ भोजन करते हुए उत्तम भोज्य पदार्थों को जल्दी-जल्दी बड़े-बड़े | कवलों से खाए। १९. शैक्ष साधु की उन्नीसवीं आशातना है कि वह रानिक साधु के द्वारा कुछ कहे जाने पर उसे अनसुना कर दे। २०. शैक्ष साधु की बीसवीं आशातना है कि वह रानिक साधु के द्वारा कुछ कहे जाने पर अपने ___ स्थान पर ही बैठे हुए सुने। समवायांग सूत्र 149 33th Samvaya
SR No.002488
Book TitleAgam 04 Ang 04 Samvayang Sutra Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmarmuni
PublisherPadma Prakashan
Publication Year2013
Total Pages446
LanguageHindi, Prakrit, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_samvayang
File Size18 MB
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