SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 200
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ 13 16 गुरुजी स्थानक को बदमाशों ने घेर लिया है। हम सबको मार डालेंगे धैर्यवान 19 धैर्य रखो, कुछ नहीं होगा। उत्तम आचार चक्षुन्द्रिय विषय श्रीरेन्द्रिय विषय समाधि भगव जिस कार्य के लिए नियुक्त करें मैं आपकी आज्ञा स्वीकार पाँच इन्द्रियों के विषयों से विरक्ति 14 17 20 बत्तीस योग संग्रह चारित्रवान प्राणेन्द्रिय विषय सर्व काम संवेग अहिंसा दीक्षा की भावना पाँच आम्रव द्वारों का संवर सत्य विरक्तता सेन्द्रिय विषय मोक्ष पथ के अनुगामी स्पर्शन्द्रिय विषय अचार्य धर्मध्यान में लीन साधु 2 23 अपरिग्रह 15 बिनल 18 चुपचाप खा लेता हूँ। प्रविधि 21 -दोष-निरोध मूल गुणों का शुद्ध पान गुरुजी आज मेरा उपवास है। आपके लिए गर्म-गर्म हलवा लाया हूँ। पाँच महाव्रतों का ॐ प्रत्याख्यान नहीं भाई। यह हमें नहीं कल्पता।
SR No.002488
Book TitleAgam 04 Ang 04 Samvayang Sutra Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmarmuni
PublisherPadma Prakashan
Publication Year2013
Total Pages446
LanguageHindi, Prakrit, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_samvayang
File Size18 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy