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________________ % % %% % % % %% % % % % % % % % % %% % % % % % % % % % % % % उनतीसवां समवाय The Twenty Nineth Samvaya १९१-एगूणतीसइ विहे पावसुयपसंगे णं पण्णत्ते, तं जहा-भोमे उप्पाए सुमिणे अंतलिक्खे अंगे सरे वंजणे लक्खणे ८। भोमे तिविहे पण्णत्ते। तं जहा-सुत्ते वित्ती वत्तिए ३। एवं एक्वेक्कं तिविहं २४। विकहाणुजोगे २५, विजाणुजोगे २६, मंताणुजोगे २७, जोगाणुजोगे २८, अण्णतित्थियपवत्ताणुजोगे २९। ___पापों के उपार्जन करने वाले शास्त्रों का श्रवण-सेवन पापश्रुत प्रसंग कहे गए हैं क्योंकि मिथ्याशास्त्र # की आराधना भी पाप का निमित्त बन सकती है। पाप श्रुत प्रसंग उनतीस प्रकार के बताए गए हैं यथा - | १. भौमश्रुत (भूमि-विकार, भूकम्प आदि का फल बताने वाला निमित्त शास्त्र), २. उत्पात श्रुत (अचानक रक्त-वर्षा जैसे उत्पातों का फल बताने वाला निमित्त शास्त्र), ३. स्वप्न श्रुत (शुभाशुभ स्वप्नों का फल बताने वाला शास्त्र), ४. अन्तरिक्ष श्रुत (ताराओं के टूटने, सूर्यादिग्रहण, आकाश में विचरने वाले ग्रहों * के युद्धादि होने आदि का फल बताने वाला शास्त्र), ५. अंगश्रुत (शारीरिक अंगों के हीनाधिक होने 5 तथा नेत्र, भुजा आदि के फकड़ने का फल बताने वाला शास्त्र), ६. स्वरश्रुत (मनुष्य, पशु-पक्षी, काष्ठपाषाणादि जनित स्वरों-शब्दों को सुनकर तदनुरूप उनके फल को बताने वाला शास्त्र), ७. व्यंजन | श्रुत (शरीर में उत्पन्न तिल, मषा आदि का फल बताने वाला शास्त्र), ८. लक्षणश्रुत (चक्र, खड्ग, - शंखादि शारीरिक चिन्हों का फल बताने वाला शास्त्र) भौम श्रुत तीन प्रकार का कहा गया है। यथा - १. सूत्र भौम श्रुत, २. वृत्ति भौम श्रुत, ३. वार्त्तिक भौम श्रुत । इन तीन प्रकार के भौम श्रुत को उपर्युक्त आठ 5 * प्रकार के श्रुतों के साथ गुणा करने पर चौबीस भेद हो जाते हैं, यथा-८-३-२४ । २५. विकथानुयोग | श्रुत (स्त्री, भोजन-पान आदि से सन्दर्भित तथा अर्थ-काम आदि की प्ररूपणा करने वाले पाक शास्त्र, | अर्थशास्त्र व काम शास्त्र), २६. विद्यानुयोग श्रुत (रोहिणी, प्रज्ञप्ति, अंगुष्ठप्रसेनादि विद्याओं को साधने | के उपाय-उपयोग बताने वाला शास्त्र), २७. मन्त्रानुयोगश्रुत (लौकिक प्रयोजनार्थ अनेक मन्त्रों का साधन बताने वाला शास्त्र), २८. योगानुयोगश्रुत (स्त्री पुरुषादि को वश में करने के लिए अंजन, गुटिका आदि | का निरूपण करने वाला शास्त्र), २९. अन्य तीर्थिक प्रवृत्तानुयोग (कपिल, बौद्ध आदि अन्य मतावलम्बियों द्वारा रचित शास्त्र)। The listening of the shrut that encourages sins, have been put under the category of (paap shrut prasang) sinful scriptures. The study of false scriptures could be the cause of sins. The number of these sinful scriptures have been described twenty nine as :- 1. Bhom Shrut (the book of omen that predicts regarding earth disturbances (Bhumi Vikar) and earthquakes etc.), 2. Utpat ¥Shrut (the omen book that predicts about the disturbances created by sudden उनतीसवां समवाय 122 (Samvayang Sutra
SR No.002488
Book TitleAgam 04 Ang 04 Samvayang Sutra Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmarmuni
PublisherPadma Prakashan
Publication Year2013
Total Pages446
LanguageHindi, Prakrit, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_samvayang
File Size18 MB
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