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९८-जंबुद्दीवे णं दीवे चउद्दस महानईओ पुव्वावरेण लवणसमुदं समप्पंति, तं जहा* गंगा, सिंधू, रोहिआ, रोहिअंसा, हरी, हरिकंता, सीआ, सीओदा, नरकंता, नारीकंता, सुवण्णकूला, रुप्पकूला, रत्ता, रत्तवई।
जम्बूद्वीप का वर्णन करते हुए कहा गया है कि इस द्वीप में प्रवहमान महानदियाँ पूर्व और पश्चिम दिशा से लवण समुद्र में जाकर मिलती हैं। इन महानदियों की संख्या चौदह बतायी गई है। यथा - १. गंगा नदी, २. सिन्धु नदी, ३. रोहिता नदी, ४. रोहितांसा नदी, ५. हरी नदी, ६. हरिकान्ता नदी, ७. सीता नदी, ८. सीतोदा नदी, ९. नरकान्ता नदी, १०. नारीकान्ता नदी, ११. सुवर्णकूला नदी, १२. रुप्यकूला नदी, १३. रक्ता नदी, १४. रक्तवती नदी।
While describing about the Jambu continent it has been said that continuous/constant floating great rivers merge into the lavan/salty ocean from East and West directions. The number of these great rivers has been told as fourteen. They are: 1. Ganga River, 2. Sindhu River, 3. Rohita River, 4. Rohitasa River, 5. Hari River, 6. Harikanta River, 7. Sita River, 8. Sitoda River, 9. Narkanta River, 10. Narikanta River, 11. Suvarnakanta River, 12. Ruppyakula River, 13. Rakta River, 14. Raktavati River.
९९-इमीसे णं रयणप्पभाए पुढवीए अत्थेगइयाणं नेरइयाणं चउद्दस पलिओवमाइं ठिई पण्णत्ता। पंचमीए णं पुढवीए अत्थेगइयाणं नेरइयाणं चउद्दस सागरोवमाइं ठिई पण्णत्ता। असुरकुमाराणं देवाणं अत्थेगइयाणं चउद्दस पलिओवमाइं ठिई पण्ण्त्ता । सोहम्मीसाणेसु कप्पेसु अत्थेगइयाणं देवाणं चउद्दस पलिओवमाइं ठिई पण्णत्ता। लंतए कप्पे देवाणं अत्थेगइयाणं चउद्दस सागरोवमाइं ठिई पण्णत्ता।
नारक और देवों की स्थिति का वर्णन निरूपित है जिसमें कहा गया है कि इस रत्नप्रभा पृथ्वी में चौदह पल्योमप स्थिति वाले कितने ही नारक हैं। पाँचवीं पृथ्वी में कहीं-कहीं चौदह सागरोपम स्थिति वाले नारक हैं। कितने ही असुर कुमार देवों की स्थिति चौदह पल्योपम कही गई है। सौधर्म और ईशान कल्पों के कितने ही देव चौदह पल्योपम स्थिति के कहे गए हैं। लान्तक कल्प में चौदह सागरोपम स्थिति वाले देवों का वर्णन है।
The life duration of the celestial beings and hellish beings is described as: - there are infernal beings whose life span is of fourteen Palyopama duration. The duration of life of hellish beings at some places of fifth hell has been described as fourteen Palyopama. The age duration of the fiendish demons has been narrated fourteen Palyopama. The celestial beings of Sudharma and Ishan kalpa are said to have the life span of fourteen Palyopama. The description of the celestial beings of Lantak kalpa having the life duration of fourteen Sagropama is also there.
समवायाग सूत्र
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14th Samvaya