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नन्दीसूत्रम्
अष्टोत्तरमप्रश्नशतम्, अष्टोत्तरं प्रश्नाप्रश्न- शतम्, तद्यथा - अंगुष्ठ-प्रश्नाः, बाहुप्रश्नाः, आदर्शप्रश्नाः, अन्येऽपि विचित्रा विद्यातिशया नागसुपर्णैः सार्धं दिव्याः संवादा आख्यायन्ते । प्रश्नव्याकरणानां परीता वाचनाः, संख्येयान्यनुयोगद्वाराणि संख्येया वेढाः, संख्येयाः प्रतिपत्तयः ।
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तान्यंगार्थतया दशममंगम्, एकः श्रुतस्कन्धः, पञ्चचत्वारिंशदध्ययनानि पञ्चचत्वारिंशदुद्देशनकाला, पञ्चचत्वारिंशत् समुद्देशनकालाः, संख्येयानि पदसहस्राणि पदाग्रेण, संख्येयान्यक्षराणि, अनन्ता गमाः, अनन्ताः पर्यवाः, परीतास्त्रसाः, अनन्ताः स्थावराः, शाश्वतकृत - निबद्ध - निकाचिता जिनप्रज्ञप्ता भावा आख्यायन्ते, प्रज्ञाप्यन्ते, प्ररूप्यन्ते, दर्यन्ते, निदश्र्श्यन्ते, उपदर्श्यन्ते ।
स एवमात्मा, एवं ज्ञाता एवं विज्ञाता, एवं चरण - करण- प्ररूपणाऽऽख्यायते, तान्येतानि प्रश्नव्याकरणानि ।। सूत्र ५५ ॥
भावार्थ - शिष्य ने प्रश्न किया - वह प्रश्नव्याकरण किस प्रकार है ?
आचार्य ने उत्तर दिया- भद्र ! प्रश्नव्याकरण सूत्र में १०८ प्रश्न - जो विद्या वा मंत्र विधि से जाप कर सिद्ध किये हों और पूछने पर शुभाशुभ कहें, १०८ अप्रश्न - अर्थात् बिना पूछे शुभाशुभ बतलाएं, १०८ प्रश्नाप्रश्न - जो पूछे जाने पर और न पूछे जाने पर स्वयं शुभाशुभ का कथन करें – जैसे – अंगुष्ठ प्रश्न, आदर्श प्रश्न, अन्य भी विचित्र विद्यातिशय कथन किए गए हैं। नाग कुमारों औरसुपर्णकुमारों के साथ मुनियों के दिव्य संवाद कहे गये हैं ।
प्रश्नव्याकरण की परिमित वाचनाएं हैं। संख्यात अनुयोगद्वार, संख्यात वेढ, संख्यात श्लोक संख्यातनिर्युक्तिएं और संख्यात संग्रहणियें तथा प्रतिपत्तिएं हैं ।
वह प्रश्नव्याकरणश्रुत अंग अर्थ से दसवां अंग है। एक श्रुतस्कन्ध, ४५ अध्ययन, ४५ उद्देशनकाल और ४५ समुद्देशनकाल हैं । पद परिमाण में संख्यात सहस्र पदाग्र हैं । संख्यात अक्षर, अनन्त अर्थगम, अनन्त पर्याय, परिमित त्रस और अनन्त स्थावर हैं । शाश्वत-कृतनिबद्ध निकाचित, जिन प्रतिपादित भाव कहे गये हैं, प्रज्ञापन, प्ररूपण व दिखाए जाते हैं, तथा उपदर्शन से सुस्पष्ट किए जाते हैं ।
प्रश्नव्याकरण का पाठक तदात्मकरूप एवं ज्ञाता तथा विज्ञाता हो जाता है । इस प्रकार उक्त अंग में चरण-करण की प्ररूपणा की गयी है । यह प्रश्नव्याकरण का विवरण है ।
टीका - इस सूत्र में प्रश्न व्याकरणसूत्र का परिचय दिया है । आगमों के नामों से ही मालूम हो जाता है कि इनमें किस विषय का वर्णन है । प्रश्न '+' व्याकरण अर्थात् प्रश्न और उत्तर, इस आगम में प्रश्नो