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________________ नम्दीसूत्रम् । २. अस्थसत्थे—अर्थशास्त्र पर कल्पक मन्त्री का उदाहरण है, जो कि टीकाकार ने नाम मात्र से संकेतित किया है। अत: इसका विवर्ण उपलब्ध नहीं हो सका। ३. लेख-लिपि का परिज्ञान-यह भी विनयवान् शिष्य को ही होता है। ४. गणित-गणित में प्रवीणता भी वैनयिकी का बुद्धि चमत्कार है। ५. कूप-किसी ग्रामीण ने एक भूमि के वैज्ञानिक से पछा-कि "अमुक स्थल पर कितनी दूरी पर पानी निकलेगा ?" भूवेत्ता ने कहाकि-"अमुक परिमाण में भमि को खोदो।" ग्रामीण ने उसी प्रकार खोदकर कहा-“यहाँ पानी नहीं निकला।" तब भूमि के परीक्षक ने कहा-"पार्श्व भूभाग पर एड़ी से प्रहार करो।" एड़ी से ताड़ित करने पर तत्काल ही जल निकल आया। यह भूगर्भवेत्ता पुरुष की वैनयिकी बुद्धि है। ६. अश्व-घोड़ा-बहुत से व्यापारी द्वारिकापुरी में घोड़े बेचने गये। नगरी के राजकुमारों ने बहुत बड़े डील-डौल के बड़े मोटे-ताजे घोड़े खरीद लिए। परन्तु, घोड़ों की परीक्षा में प्रवीण वासुदेव ने एक दुबले-पतले घोड़े का सौदा किया। जब घुड़सवारी का समय आता तो बड़े आकार प्रकार के घोड़े पीछे रह जाते और वासुदेव का दुबला-पतला घोड़ा सबसे आगे निकल जाता। यह वासुदेव की वनयिकी बुद्धि है। ७. गर्दभ-एक राजा जब यौवनावस्था को प्राप्त हुआ, तो उसके मस्तिष्क में यह धुन सवार हो गई कि – 'तरुण ही सब कार्यों में कुशल हो सकते हैं और तरुणावस्था ही सर्वश्रेष्ठ होती है। यह विचार कर राजा ने अपनी सेना से सभी अनुभवी और वयोवृद्ध योधाओं को निकाल, उनके स्थान पर युवा लड़कों की सेना भरती कर ली। एक बार राजा किसी देश पर चढ़ाई करने जा रहा था। मार्ग में एक बीहड़ अटवी में पथ-भ्रष्ट हो जाने से सभी युवा सैनिक और कर्म-चारियों समेत राजा पानी के अभाव में प्यास से व्याकुल हो गये । तब किंकर्तव्यविमूढ़ राजा से किसी ने प्रार्थना की कि "महाराज ! यह विपत्तिसागर, वृद्ध पुरुष की बुद्धि के बिना पार नहीं किया जा सकता, इस लिए किसी वृद्ध पुरुष की खोज की जाए।" उसी समय राजा ने समस्त सैन्यदल में उद्घोषणा करवाई। यह घोषणा एक पितृभक्त सैनिक ने सुनी, जो अपने अनुभवी वृद्ध पिता को गुप्त वेष में साथ ले आया था। युवा सैनिक ने घोषणा सुन कर राजा से कहा-"महाराज ! मेरे पिता जी यहाँ उपस्थित हैं।" राजाज्ञा से वृद्ध को राजा के पास ले जाया गया। राजा ने गौरव से कहा-“महापुरुष ! मेरी सेना को पानी कैसे मिलेगा ?" वृद्ध बोला-"देव ! गधों को स्वतन्त्र रूप से छोड़ दीजिये, जहाँ पर वे भूमि को संघ, उसी स्थान पर पानी . समझ लेना चाहिए।" राजा ने उसी प्रकार किया और पानी प्राप्त कर सभी सैनिक स्वस्थ हो, अपने गन्तव्य की ओर चल पड़े । यह स्थविरपुरुष की वैनयिकी बुद्धि है। ८. लक्षण-घोड़ों के एक व्यापारी ने घोड़ों की रक्षा के लिये एक व्यक्ति को नियुक्त किया और उससे कहा-"कि वेतन में तुम्हें दो घोड़े मिलेंगे।" सेवक ने यह स्वीकार कर लिया। घोड़ों की रक्षा करते हुए घोड़ों के स्वामी की कन्या से उसका स्नेह हो गया। सेवक ने कन्या से पूछा-"कि कौन से घोड़े अच्छे हैं ?" लड़की ने उत्तर दिया-यूं तो सभी घोड़े अच्छे हैं, परन्तु पत्थरों से भरे कुप्पे को वृक्ष पर से गिराने के शब्द से जो घोड़े भय-भीत न हों, वही श्रेष्ठ हैं।" सेवक ने उसी प्रकार सभी घोड़ों की परीक्षा की। उनमें दो घोड़े जो लक्षण सम्पन्न थे, वे परीक्षण में निर्भय निकले । जब वेतन देने का
SR No.002487
Book TitleNandi Sutram
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAtmaramji Maharaj
PublisherAcharya Shree Atmaram Jain Bodh Prakashan
Publication Year1996
Total Pages522
LanguageHindi, Prakrit, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_nandisutra
File Size16 MB
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