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डनिबद्धनिकाइया जिणपन्नता भावा आघविज्जति, पण्णविज्जति, परूविज्जन्ति, दंसिज्जन्ति, निदंसिज्जन्ति, उवदंसिज्जन्ति ।
से एवं पाया, एवं नाया, एवं विण्णाया, एवं चरणकरणपरू वणा आघविज्जन्ति, से तं दिट्ठिवाए ।सूत्र ५६॥
इच्चेइयंमि दुवालसंगे गणिपिडगे अणंता भावा, अणंता अभावा, अणंता हेऊ अप्पंता अहेऊ, अणंता कारणा, अणंता अकारणा, अणंता जीवा, अणंता अजीवा, अणंता भवसिद्धिया, अणंता अभवसिद्धिया, अणंता सिद्धा, अणंता प्रसिद्धा पण्णत्ता।
भावमभावा हेऊमहेऊ कारणमकारण चेव ।
जीवाजीवा भवियमभविया-सिद्धा प्रसिद्धा यं ॥१२॥ इच्चेइयं दुवालसंगं गणिपिडगं तीए काले अणंता जीवा प्राणाए विर हित्ता चाउरतं संसारकंतारं अणुपरिट्टिसु । इच्चे इयं दुवालसंगं गणिपिडगं पडुप्पण्णकाले परित्ता जीवा प्राणाए विराहित्ता चाउरंतं संसार-कतारं अणुपरियद॒ति । इच्चे इयं वालसंगं गणिपिडगं अणागए काले अणंता जीवा आणाए विराहित्ता चाउरंतं संसारकंतारं अणुपरियट्टिस्संति ।
___ इच्चेइयं दुवालसंगं गणिपिडगं तीए काले अणंता जीवा प्राणाए आरा- . हित्ता चाउरंतं संसारकंतारं वीईवइंसु । इच्चे इयं दुवालसंगं गणिपिडगं पडुप्पण्णकाले परित्ता जीवा आणाए पाराहित्ता चाउरंतं संसारकंतारं वीईवयंति। इच्चेइयं दुवालसंगं गणिपिडगं अणागए काले अणंता जीवा प्राणाए आराहित्ता चाउरतं संसार-कतारं वीईवइस्संति ।
___इच्चेइयं दुवालसंगं गणिपिडगं न कयाइ नासी, न कयाइ न भवइ, न कयाइ न भविस्सइ, भुवि च, भवइ य, भविस्सइ य, धुवे, नियए, सासए, अक्खए, अव्वए, अबट्ठिए, निच्चे।
से जहानामए पंचत्थिकाए, न कयाइ नासी, न कयाइ नत्थि, न कयाइ न भविस्सइ, भुवि च, भवइ य, भविस्सइ य धुवे, नियए, सासए, अक्खए, अव्वए, अवदिए, निच्चे।
एवामेव दुवालसंगं गणिपिडगं न कयाइ नासी, न कयइ नत्थि, न कयाइ.