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________________ ७५ खीरमिव जहा हंसा, जे घुटंति इह गुरुगुणसमिद्धा । दोसे य विवज्जती, तं जाणसु जाणियं परिसं ॥५२॥ अजाणिया जहा जा होइ पगइमहरा, मिय-छावय-सीहकुक्कुड य भूपा । रयणमिव असंठविया, अजाणिया सा भवे. परिसा ॥५३॥ दुब्वियड्डा जहा न य कत्थइ निम्मायो, न य पुच्छइ परिभवस्स दोसेणं । __ वत्थि व्व वायपुण्णो, फुट्टइ गामिल्लय दुव्वियड्डो ॥५४॥ नाणं पंचविहं पन्नत्तं, तंजहा-पाभिणिबोहियनाणं, सुयनाणं, अोहिनाणं, मणपज्जवनाणं, केवलनाणं ॥सूत्र १॥ तं समासो दुविहं पण्णत्तं, तंजहा-पच्चक्खं च परोक्खं च ॥सू० २॥ से किं तं पच्चक्खं ? पच्चक्खं दुविहं पण्णत्तं, तंजहा-इंदिय-पच्चक्खं नोइंदिय-पच्चक्खं च ॥सूत्र ३॥ . से किं तं इंदिय-पच्चक्खं ? इंदियपच्चक्खं पंचविहं पण्णत्तं, तंजहा-- सोइंदिय-पच्चक्खं, चक्खिदिय-पच्चक्खं, घाणिदिय-पच्चक्खं, जिभिंदियपच्चक्खं, फासिदिय-पच्चक्खं । से तं इंदिय-पच्चक्खं ॥सूत्र ४॥ से कि तं नोइंदिय-पच्चक्खं ? नोइंदिय-पच्चक्खं तिविहं पण्णत्तं, तंजहा-मोहिनाण-पच्चक्खं, मणपज्जवनाण-पच्चक्खं, केवलनाण-पच्चक्खं ॥ सूत्र ५॥ से किं तं प्रोहिनाणपच्चक्खं ? ओहिनाण-पच्चक्खं दुविहं पण्णत्तं, तंजहा-भवपच्चइयं च, खाअोवसमियं च ॥सूत्र ६॥ से किं तं भवपच्चइयं ? भवपच्चइयं दुण्हं, तं जहा–देवाण य नेरइयाण य ॥सूत्र ७॥ से किं तं खानोवस मियं ? खारोवस मियं दुण्हं, तं जहा–मणुस्साण य, पंचेंदिय-तिरिक्खजोणियाण य । ___को हेऊ खाअवसमियं ? खानोवसमियं तयावरणिज्जाणं कम्माणं उदिण्णाणं खएणं, अणुदिण्णाणं उवसमेणं ओहिनाणं समुप्पज्जइ ॥सूत्र ८॥
SR No.002487
Book TitleNandi Sutram
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAtmaramji Maharaj
PublisherAcharya Shree Atmaram Jain Bodh Prakashan
Publication Year1996
Total Pages522
LanguageHindi, Prakrit, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_nandisutra
File Size16 MB
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