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लिए निकलता है या प्रवेश करता है अथवा निकलने वाले का या प्रवेश करने वाले का समर्थन करता है। (उसे गुरूचौमासी प्रायश्चित्त आता है।)
छह दोष स्थान ये हैं-1. कोष्ठागारशाला, 2. भाण्डागारशाला, 3. पानशाला, 4. क्षीरशाला, A 5. गंजशाला, 6. महानसशाला। 7. The ascetic who goes and comes into the houses of the Gathapati clans without
knowing, enquiring, discovering in fiveor six days the six places of faults of the Royal Murdhabhishikt warrior king or supports the ones who goes and comes so, a Guru-chaumasi repentance comes to him.
Six places of faults are as follows-1. Koshatagar-Shala, 2. Bhandagara-shala, 3. Pan-shala, 4. Kshir-Shala, 5. Ganj-Shala, 6. Mahangh Shala.
राजा आदि को देखने के लिए प्रयत्न करने का प्रायश्चित्त THE ATONEMENT OF MAKING EFFORTS TO SEE THE KING ETC 8. जे भिक्खूरण्णो खत्तियाणं मुदियाणं मुद्धाभिसित्ताणं आगच्छमाणाणं वा णिग्गच्छमाणाणं वा रे
पयमवि चक्खुदंसण-वडियाए अभिसंधारेइ, अधिसंधारेंतं वा साइज्जइ। 9. जेभिक्खूरण्णोखत्तियाणं मुदियाणं मुद्धाभिसित्ताणंइत्थीओसव्वालंकार-विभूसियाओ पयमवि
चक्खुदंसण-वडियाए अभिसंधारेइ, अभिसंधारेत वा साइज्जइ। पर 8. जो भिक्षु शुद्ध वंजश मूर्द्धाभिषिक्त क्षत्रिय राजा के आने-जाने के समय उन्हें देखने के संकल्प से घर
__ एक कदम भी चलता है अथवा चलने वाले का समर्थन करता है। 3 9. जो भिक्षु शुद्ध वंशज मूर्द्धाभिषिक्त क्षत्रिय राजा की सर्व अलंकारों से विभूषित रानियों को देखने
के संकल्प से एक कदम भी चलता है अथवा चलने वाले का समर्थन करता है। (उसे र गुरूचौमासी प्रायश्चित्त आता है।) The ascetic who walks even a single step resolving to see the Royal Murdhabhishikt warrior king at the time of his arrival and departure or supports the ones who
walks so. 9. The ascetic who walks even a single step with the desire to see the queens decorated
with ornaments of the Royal Murdhabhishikt warrior kings or supports the ones
who walks so,aGuru-chaumasiexpiation comes to him.. शिकारादि के निमित्त निकले राजा का आहार ग्रहण करने पर प्रायश्चित्त THE EXPIATION OF ACCEPTING THE FOOD OF THE KING GOING OUT FOR HUNTING 10. जे भिक्खू रण्णो खत्तियाणं मुदियाणं मुद्धाभिसित्ताणं मंसखायाण वा, मच्छखायाण वा,
छविखायाण वा बहिया णिग्गयाणं असणं वा, पाणं वा, खाइमं वा, साइमं वा पडिग्गाहेइ, घरे पडिग्गाहेंतं वा साइज्जइ।
| निशीथ सूत्र
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Nishith Sutra