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________________ 26. जेभिक्खूआगंतारेसुवा,आरामागारेसुवा,गाहावइकुलेसुवा, परियावसहेसुवा कोहलवडियाए ४. पडियागयं समाणं अण्णउत्थिया वा गारात्थिया वा' असणं वा पाणं वा खाइमं वा साइमं वा 18 ओभासिय-ओभासिय जायइ, जायंतं वा साइज्जइ। 7. जे भिक्खूआगंतारेसुवा,आरामागारेसुवा,गाहावइकुलेसुवा, परियावसहेसुवा, कोहलवडियाए ४ पडियागयं समाणं, अण्णउत्थिणिं वा गारस्थिणिं वा' असणं वा पाणं वा खाइमंवा साइमं वा हूँ ओभासिय-ओभासिय जायइ, जायंतं वा साइज्जइ। 28. जेभिक्खू आगंतारेसुवा,आरामागारेसुवा,गाहावइकुलेसुवा, परियावसहेसुवा कोहलवडियाए ६४ पडियागयंसमाणं, अण्णउत्थिणीओ वा गारत्थिणीओ वा' असणंवा पाणंवा खाइमंवा साइमं ४ वा ओभासिय-ओभासिय जायइ, जायंतं वा साइज्जइ। 9. जे भिक्खू आगंतारेसुवा,आरामागारेसुवा,गाहावइकुलेसुवा, परियावसहेसुवा 'अण्णउत्थिएण वा गारथिएण' वा असणं वा पाणं वा खाइमं वा साइमं वा अभिहडं आह? देज्जमाणं पडिसेहेत्ता, तमेव अणुवत्तिय-अणुवत्तिय, परिवेढिय-परिवेढिय, परिजविय-परिजविय, ओभासिय-ओभासिय जायइ, जायंतं वा साइज्जइ। * 10. जे भिक्खूआगंतारेसुवा,आरामागारेसुवा,गाहावइकुलेसुवा, परियावसहेसुवा 'अण्णउत्थिएहिं 8. वा गारथिएहिं वा' असणं वा पाणं वा खाइमं वा साइमं वा अभिहडं आहटु देज्जमाणं ___पडिसेहेत्ता, तमेव अणुवत्तिय-अणुवत्तिय, परिवेढिय-परिवेढिय, परिजविय-परिजविय, ओभासिय-ओभासिय जायइ, जायंतं वा साइज्जइ। 11. जेभिक्खूआगंतारेसुवा,आरामागारेसुवा,गाहावइकुलेसुवा, परियावसहेसुवा अण्णउत्थिणीए से वा गारस्थिणीए वा' असणं वा पाणं वा खाइमं वा साइमं वा अभिहडं आह? देज्जमाणं - पडिसेहेत्ता, तमेव अणुवत्तिय-अणुवत्तिय, परिवेढिय-परिवेढिय, परिजविय-परिजविय, ___ ओभासिय-ओभासिय जायइ, जायंतं वा साइज्जइ। 24 12. जे भिक्खूआगंतारेसुवा,आरामागारेसुवा, गाहावइकुलेसुवा, परियावसहेसुवा अण्णउत्थिणीहिं ___ वा गारत्थिणीहिं वा' असणं वा पाणं वा खाइमं वा साइमं वा अभिहडं आहट्ट देज्जमाणं ११ पडिसेहेत्ता तमेव अणुवत्तिय-अणुवत्तिय, परिवेढिय-परिवेढिय, परिजविय-परिजविय, ओभासिय-ओभासिय जायइ, जायंतं वा साइज्जइ। है 1. जो भिक्षु धर्मशालाओं में, उद्यानगृहों में, गृहस्थों के घरों में या आश्रमों में अन्यमती से अथवा गृहस्थ से अशन, पान, खाद्य या स्वाद्य माँग-माँग कर याचना करता है अथवा माँग-माँगकर याचना करने वाले का समर्थन करता है। 2. जो भिक्षु धर्मशालाओं में, उद्यानगृहों में, गृहस्थों के घरों में या आश्रमों में अन्यतीर्थिकों से अथवा __गृहस्थों से अशन, पान, खाद्य या स्वाद्य माँग-माँग कर याचना करता है अथवा माँग-माँगकर याचना करने वाले का समर्थन करता है। 3. जो भिक्षु धर्मशालाओं में, उद्यानगृहों में, गृहस्थों के घरों में या आश्रमों में अन्यमती से अथवा गृहस्थ स्त्री से अशन, पान, खाद्य या स्वाद्य माँग-माँग कर याचना करता है अथवा माँग-माँगकर याचना करने वाले का समर्थन करता है। तृतीय उद्देशक Third Lesson (65)
SR No.002486
Book TitleAgam 24 Chhed 01 Nishith Sutra Sthanakavsi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmarmuni
PublisherPadma Prakashan
Publication Year2015
Total Pages452
LanguageHindi, Prakrit, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_nishith
File Size20 MB
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