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________________ 8 4. जो भिक्षु धर्मशालाओं में, उद्यानगृहों में, गृहस्थों के घरों में या आश्रमों में अन्यतीर्थिक से अथवा रे गृहस्थ स्त्रियों से अशन, पान, खाद्य या स्वाद्य माँग-माँग कर याचना करता है अथवा माँग-माँगकर र याचना करने वाले का समर्थन करता है। 5. जो भिक्षु धर्मशालाओं में, उद्यानगृहों में, गृहस्थों के घरों में या आश्रमों में कौतूहलवश अन्यतीर्थिक से अथवा गृहस्थ से अशन, पान, खाद्य या स्वाद्य माँग-माँग कर याचना करता है अथवा परे माँग-माँगकर याचना करने वाले का समर्थन करता है। अरे 6. जो भिक्षु धर्मशालाओं में, उद्यानगृहों में, गृहस्थों के घरों में या आश्रमों में कौतूहलवश अन्यतीर्थिकों से अथवा गृहस्थों से अशन, पान, खाद्य या स्वाद्य माँग-माँग कर याचना करता है अथवा 3 माँग-माँगकर याचना करने वाले का समर्थन करता है। 7. जो भिक्षु धर्मशालाओं में, उद्यानगृहों में, गृहस्थों के घरों में या आश्रमों में कौतूहलवश अन्यतीर्थिक है अथवा गृहस्थ स्त्री से अशन, पान, खाद्य या स्वाद्य माँग-माँग कर याचना करता है अथवा उरे माँग-माँगकर याचना करने वाले का समर्थन करता है। 8. जो भिक्षु धर्मशालाओं में, उद्यानगृहों में, गृहस्थों के घरों में या आश्रमों में कौतूहलवश अन्यतीर्थिक या गृहस्थ स्त्रियों से अशन, पान, खाद्य या स्वाद्य माँग-माँग कर याचना करता है अथवा 30 माँग-माँगकर याचना करने वाले का समर्थन करता है। 9. जो भिक्षु धर्मशालाओं में, उद्यानगृहों में, गृहस्थों के घरों में या आश्रमों में अन्यतीर्थिक अथवा सर गृहस्थ द्वारा अशन, पान, खाद्य या स्वाद्य सामने लाकर दिये जाने पर निषेध करके फिर उसके सारे पीछे-पीछे जाकर, उसके आसपास व सामने आकर तथा मिष्ट वचन बोलकर माँग-माँगकर घरे याचना करता है अथवा माँग-माँगकर याचना करने वाले का समर्थन करता है। 4 10. जो भिक्षु धर्मशालाओं में, उद्यानगृहों में, गृहस्थों के घरों में या आश्रमों में अन्यतीर्थिक अथवा गृहस्थों द्वारा अशन, पान, खाद्य या स्वाद्य सामने लाकर दिये जाने पर निषेध करके फिर उसके पीछे-पीछे जाकर, उसके आसपास व सामने आकर तथा मिष्ट वचन बोलकर माँग-माँगकर 4 याचना करता है अथवा माँग-माँगकर याचना करने वाले का समर्थन करता है। 11. जो भिक्षु धर्मशालाओं में, उद्यानगृहों में, गृहस्थों के घरों में या आश्रमों में अन्यतीर्थिक अथवा र गृहस्थ स्त्री द्वारा अशन, पान, खाद्य या स्वाद्य सामने लाकर दिये जाने पर निषेध करके फिर उसके पीछे-पीछे जाकर, उसके आसपास व सामने आकर तथा मिष्ट वचन बोलकर माँग-माँगकर 6 याचना करता है अथवा माँग-माँगकर याचना करने वाले का समर्थन करता है। 12. जो भिक्षु धर्मशालाओं में, उद्यानगृहों में, गृहस्थों के घरों में या आश्रमों में अन्यतीर्थिक अथवा रे गृहस्थ स्त्रियों द्वारा अशन, पान, खाद्य या स्वाद्य सामने लाकर दिये जाने पर निषेध करके फिर घर उसके पीछे-पीछे जाकर, उसके आसपास व सामने आकर तथा मिष्ट वचन बोलकर माँग-माँगकर सरे याचना करता है अथवा माँग-माँगकर याचना करने वाले का समर्थन करता है। (उसे लघुमासिक प्ररि प्रायश्चित्त आता है।) श्रत करता है। निशीथ सूत्र (66) Nishith Sutra
SR No.002486
Book TitleAgam 24 Chhed 01 Nishith Sutra Sthanakavsi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmarmuni
PublisherPadma Prakashan
Publication Year2015
Total Pages452
LanguageHindi, Prakrit, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_nishith
File Size20 MB
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