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56. The ascetic who does not search the lost Shayya Samstaraka of Shayyatarer which is to be given or supports the ones who does not search, a laghu-masik expiation comes to him.
विवेचन-सूत्रोक्त ये दोनों प्रकार के शय्या - संस्तारक यदि कोई जानबूझकर अथवा भ्रांतिवश उठाकर ले जाए तो साधु को उनकी पूछताछ करना, खोज करना एवं मालिक को सूचना देनी चाहिए, इसकी उपेक्षा करने से अनेक दोषों की सम्भावना रहती है, उन्हें पूर्व सूत्र से समझ लेना चाहिए।
Comments-If any one knowingly or unknowingly takes away both the types of the Shayya Samstaraka. The ascetic should not show deficiency in searching it or in giving information to the owner. There is possibility of many faults in showing deficiency. 57. जे भिक्खू इत्तरियं पि उवहिं ण पडिलेहेइ, ण पडिलेहेंतं वा साइज्जइ ।
57. जो भिक्षु स्वल्प उपधि की भी प्रतिलेखना नहीं करता है अथवा नहीं करने वाले का समर्थन करता है। (उसे लघुमासिक प्रायश्चित्त आता है ।)
57. The ascetic who does not cleanse the implements small in number or supports the ones who does not so, a laghu-masik expiation comes to him.
विवेचन - साधु को अपने सभी उपकरणों की उभयकाल प्रतिलेखना करना आवश्यक है। छोटे से उपकरण की भी प्रतिलेखना में उपेक्षा करे तो उसे लघुमासिक प्रायश्चित्त आता है।
Comments-Pratilekhana (Cleaning) is essential for an ascetic to do both the time of all the implements, For eglecting the cleansing process a laghu-masik atonements comes.
सूत्र - 1
सूत्र - 2-8
सूत्र - 9 सूत्र - 10
सूत्र - 11-13
सूत्र - 14-17
सूत्र - 18
सूत्र - 19
सूत्र - 20
सूत्र - 21
सूत्र - 22
निशीथ सूत्र
द्वितीय उद्देशक का सारांश
THE CONTENTS OF SECOND CHAPTER
काष्ठदण्डयुक्त पादप्रोंछन बनाना ।
काष्ठदण्डयुक्त पादपोंछन ग्रहण करना, रखना, ग्रहण करने की आज्ञा देना, वितरण करना, उपयोग करना, डेढ़ मास से अधिक रखना एवं काष्ठदण्ड से पादप्रोंछन को खोलकर अलग करना ।
अचित्त पदार्थ सूँघना।
पदमार्ग आदि स्वयं बनाना ।
पानी निकलने की नाली, छींका और छींके का ढक्कन, चिलमिली स्वयं बनाना ।
सुई आदि को स्वयं सुधारना ।
कठोर भाषा बोलना ।
अल्प मृषा-असत्य बोलना ।
अल्प अदत्त लेना ।
अचित्त शीत या उष्ण जल से हाथ, पैर, कान, आँख, दाँत, नख और मुँह धोना । कृत्स्न चर्म धारण करना ।
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Nishith Sutra