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के देवता-मुनि-नवकार का रटन - आदि के चित्र टी. वी. के पर्दे पर उभरने वाले चित्रों की भाँति उसकी आत्मा के ज्ञान के पर्दे पर स्पष्ट दिखाई देने लगे। जिस नवकार का स्मरण पूर्व भव में किया था उसका स्मरण पुनः स्मृतिपटल पर आ गया । वह वानर अपनी आंखे मूंदकर नवकार रटने लगा । जिसकी आत्मा एकबार जागृत हो जाए उसे पुनः जगाने की आवश्यकता नहीं होती। सोये हुए को जगाया जाता है, जागते हुए को कोई नहीं जगाता। उसके पूर्व जन्म की साधना सफल हो गई। . उस वानर ने कुछ ही काल में अनशन धारण कर लिया। तिर्यंचगति में नवकारमय जीवन बना दिया और नवकार का स्मरण करता करता मृत्यु पाकर पुनः देवगति में गया। अब पुनः नवकार गिनने का सामर्थ्य बल, शक्ति आदि प्राप्त किये। इस प्रकार नवकार महामंत्र से सद्गति प्राप्त की जा सकती है, दुर्गति से बचा जा सकता है। दुर्गति में भी कुछ साधना हो सकती है। दुर्गति से पुनः सद्गति में आना शक्य है। इस प्रकार एक नवकार की साधना इस भव और आगामी भव दोनों ही सुधार सकती है।
इस नवकार महामंत्र की महिमा अनन्य है, अद्वितिय है। हम भी अपने जीवन में नवकार की साधना करे, सच्चे अर्थ में साधक बनें और सद्गति साधे, यह भव और आने वाले भव सुधार लें - ऐसी ही शुभाभिलाषा सहित ।
णमो अरिहंताणं -। णमो सिद्धाणं -॥
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