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महत्ता तो अपेक्षाकृत और भी अधिक घट गई है । अब तो यंत्रो की प्रधानता अत्यधिक बढ़ चुकी है । यहाँ यंत्र शब्द से दो प्रकार के यंत्र समझे जाएँ । एक तो आधुनिक विज्ञान द्वारा निर्मित - मोटरयुक्त अनेक प्रकार के यंत्र और दूसरे विविध प्रकार के यंत्रो का जो आलेखन होता है वे मंत्र शास्त्रों में भी यंत्रों का आलेखन कर दिया है । उदाहरणार्थ श्रीयंत्र, सिद्धचक्र यंत्र, सर्वतोभद्रयंत्र, ऋषिमंडलयंत्र, श्री विशस्थानकयंत्र, विशायंत्र आदि सैंकड़ो प्रकार के यंत्र हैं ।
मंत्रो का यांत्रिकिकरण हुआ । हमें यहाँ विज्ञान के यंत्र अभिप्रेत नहीं है। ये तो भौतिकवाद की देन हैं । ये जड़ साधनों पर आधारित हैं । जव कि मंत्रशास्त्र के यंत्र तो आत्म साधना के साथ जुड़े हुए हैं । मंत्र वही होता है, परन्तु उन्हें सामान्य स्वरुप में लिखने के बजाय विशिष्ट प्रकार से यंत्र का आलेखन करके पुनः उसके वलयों में लिखे जाने पर यंत्र की रचना सिद्ध होती है । मंत्र शास्त्र में यंत्रीकरण की प्रक्रिया में मंत्र के साथ साथ अंक विद्या का उपयोग भी बहुत हुआ है, अर्थात् मंत्र के शब्दों के साथ अथवा स्वतंत्र रुप से मात्र अंक रखकर भी उपयोग हुआ है । पंद्रहिया, विशायंत्र, पेंतीसा, चालीसा, पेंसठीया आदि भिन्न भिन्न प्रकार के यंत्रो में गणित की दृष्टि से संख्याएँ व्यवस्थित रखी गई हैं ओर उन्हें चारों ओर से गिनने पर एक ही प्रकार का योगफल आता है अतः वे तत्संबंधित नामों से पहचाने जाते हैं । संभव है ये भी मंत्र शब्दों की तरह इष्टदेववाची संकेतकारी बन गए है अथवा दैविकसाधना को मंत्र स्वरुप में स्पष्टतः न लिखकर उसे ही अंकवाची बनाकर लिखा हो - जैसे व्यक्ति टेलिफोन नंबर से वाच्य बनता है । बैंकों में भी कोड़ नंबर के खाते होते हैं । स्विस बैंक में व्यक्ति के नाम से नहीं बल्कि मात्र कोड़ नंबर जो दिये हुए होते हैं, उन्हीं नामों से पहचाने जाते हैं, इसी प्रकार दैविक शक्ति अथवा इष्ट देव के लिये कदाचित् संभव है कि विविध अंको को संलग्नं कर यंत्र रचना के रुप में व्यवस्थित जमाया हो और उन अंको की संख्या से इष्ट वाच्य बनते हो | इससे दैविक शक्ति अथवा इष्ट देव भी गुप्त बने रहे और व्यक्ति मंत्र के माध्यम से इष्ट का दुरुपयोग भी न कर सके।
मंत्र की गुप्तता :
___ मन्त्रं नाम गुप्त - संस्कृत भाषा में मंत्र शब्द गुप्त अर्थ में प्रयुक्त हुआ है । मंत्र, मंत्री, मंत्रणाआदि शब्द मंत्र धातु से बने हुए हैं । मंत्रणा करना अर्थात् गुप्त