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का स्थान मंत्र के क्षेत्र में निश्चित् रुप से अधिक है । जादू के क्षेत्र में तो चालाकी का स्थान शीर्षस्थ है जब कि मंत्र - क्षेत्र में साधना का स्थानं प्रबल रहा है । इस प्रकार हम देखते हैं कि दोनों के आधार - स्थल ही भिन्न भिन्न रहे हैं । इसीलिये उनके कार्य क्षेत्र भी भिन्न भिन्न रहे हैं ।
नवकार महामंत्र की गणना हमने जादू अथवा इन्द्रजाल में कभी भी नहीं की, और इसी प्रकार नवकार को मात्र चमत्कार करनेवाला अथवा सर्जनकर्ता मंत्र के रुप में भी कभी नहीं कहा, परन्तु इसकी गणना महामंत्र में की जाती है। इस महामंत्र की महानता अर्थ, ज्ञान, आदि अनेक बिन्दुओं पर आधारित है । मंत्र युग में भी यह नवकार महामंत्र सभी मंत्रो में प्रमुख पद पर था । इसी प्रकार सभी युगों में, सर्वकालों में नवकार की महानता सर्वव्यापी रही है । नवकार की महानता को कभी भी आँच नहीं आई।
कालांतर में मंत्रयुग के बाद तंत्रयुग का आगमन हुआ । तंत्र की बोलबाला बढ़ती गई । मंत्रयुग में जो विकृतियाँ नहीं थी, वे तंत्रयुग में बढ़ती गई । अघोरी बावाओं ने तंत्रका अत्यन्त दुरुपयोग किया । सम्पूर्ण तंत्र साधना में स्वार्थी तत्त्व मिलाकर सर्वथा विकृत कर डाली उसमें ज्ञानात्मकता को रहने ही नहीं दी, मात्र तान्त्रिकता की ही अभिवृद्धि की, जिससे शुभ की अपेक्षा अशुभ के मार्ग पर अधिक आगे बढ़े । फलस्वरुप तंत्र की अधिकतम बदनामी हुई । साथ ही विषय वासना और काम संज्ञा के अनिष्ट तत्त्वों का भी अधिक मिश्रण हो गया । इसका दुष्परिणाम यह हुआ कि मंत्रयुग में मंत्रों की जितनी पवित्रता आरक्षित थी उतनी पवित्रता तंत्रयुग में न रह पाई । नवकार महामंत्र मंत्रयुग में जितना उपयोगी सिद्ध हुआ था, उसकी तुलना में तंत्रयुग में यह कम उपयोगी सिद्ध हुआ, परन्तु यह अच्छा ही हुआ कि शुद्ध महामंत्र पर बुरी आँच न आई, यह अशुद्ध नहीं हुआ और न इस पर कलंक लगा कि नवकार मंत्र भी अन्य मंत्रो की भाँति अशुद्ध ही है, बुरा ही है । यद्यपि तंत्र युग में मंत्र को भी तंत्र के उपयोग में लिया गया था - यह एक विशेष हर्ष की बात है । परन्तु मंत्रशास्त्र के इतिहास में इस बात का सर्वथा अभाव नही हैं । किसी निश्चित् परिमाण में नवकार के बीजाक्षरों का संक्षिप्त रुप में अनेक प्रकार के तंत्र प्रयोगों में उपयोग किया गया है, फिर भी नवकार महामंत्र की शुद्धि और सात्विकता आज तक सुरक्षित रही है ।
वर्तमान काल यंत्रयुग का है । मंत्रों की महत्ता भी घट गई और तंत्रो की