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ममत्व प्रबल हैं । अतः इस तीव्र राग को माताराल नहीं सकती, और माता बनने की उसकी इच्छा तीव्रतर होती जाती हैं । यह इच्छा इतनी प्रबल होती हैं कि स्त्री संतान के लिये व्यग्र बन जाती है - उसे चैन नहीं पड़ती | उसका मन व्यथित रहता है । सतत यह संतान के ही स्वप्नगगन में विहार करती रहती है । वह जानती है कि प्रसव पीड़ा मृत्यु तुल्य पीड़ा होती है, फिर भी क्षणिक दुःख की अपेक्षा वह जीवनभर के संतान-सुख को अधिक प्रधानता देती है और माता बनने का स्वप्न साकार होने पर ही संतुष्ट होती है।
क्या इश्वर के सबंध में भी ऐसा ही समझें ? क्या सृष्टि निर्माण करने की इच्छा के पीछे सृष्टि के प्रति राग-जीव-सृष्टि के प्रति असीम राग है, मोह है या ममत्व है, जिसके वशीभूत होकर ईश्वर अपनी इच्छा का निर्माण करता है ? यदि यह बात मान लेते हैं तब तो ईश्वर को रागी मानना पड़ेगा । फिर जब यही ईश्वर सृष्टि का प्रलय करता है तब उसे द्वेषी भी मानना होगा, क्यों कि द्वेषवृत्ति के बिना प्रलय संहार अथवा सर्वनाश संभव ही नहीं हो सकता । इस प्रकार मानने लगे तब तो ईश्वर का स्वरूप ही राग-द्वेष युक्त लगेगा और जिस प्रकार कीचड़ में लिप्त शुद्ध स्वर्ण के आभूषण भी शोभा नहीं पाते, उसी प्रकार शुद्ध ईश्वर की शोभा होती है जो वीतरागी - वीतद्वेषी अर्थात् राग-द्वेष रहित हो । यदि राग-द्वेष युक्त को भी ईश्वर मानने की तैयारी हो तब तो इस जगत में लाखों-करोड़ों बल्कि लगभग सभी मनुष्य राग-द्वेषयुक्त ही हैं, फिर उन्हें ईश्वर क्यों नहीं मानते हैं ? .
___ यदि इच्छा विहीन ईश्वर की कल्पना नहीं कर सकते हो तो इच्छा की उत्पति भी राग-द्वेष के बिना संभव नहीं है । अतः ईश्वर में यदि इच्छा को मानना ही पड़े तब तो रागद्वेषयुक्त इच्छा को ही मानना पड़ेगा और ऐसा करेंगे तो ईश्वर रागी और द्वेषी स्वतः सिद्ध हो जाएगा।
क्या एक माता जो इतने प्रबल मोह-ममत्व से संतान को जन्म देती है, मोहममत्व से ही संतान का पालन-पोषण करती है और उसके हृदय में अपनी संतान के प्रति इतना प्रगाढ वात्सल्य - स्ननेहभाव होता है कि उसके स्तन में दूध बन जाता है, स्तन से दूध प्रवाहित होता है, जिसका पान करके वह बच्चा बड़ा होता है, यही स्थिति पशु-पक्षियों की भी है, क्या वे अपनी संतान के प्राण ले लेते हैं, क्या स्वजन्य सन्तान को नष्ट कर डालते हैं ? नहीं, बिल्कुल नहीं । तो क्या ईश्वर जो इतनी प्रबल इच्छा से सृष्टि का निर्माण करता है वही उस सृष्टि का प्रलय करेगा - संहार करेगा ? क्या ऐसा करना उसे शोभा देता है ? क्या यह संभव भी
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