________________
रुपों में कितने हाथों से काम करना पड़ता होगा ? नित्य कितने गर्भ रखना ? कितने शरीर बनाने ? कितने गर्भपात करने आदि ?इतना ही नहीं बल्कि नवजात को बड़ा करना और अन्त में मृत्यु का कौर बनाकर पुन : दूसरी गति में दूसरे जन्म में उस जीव को भेजना, ले जाना वहाँ पुनः जन्म देनेवाला, वहाँ गर्भ में रखना या अंडे में रखना अथवा पोतज अंडज आदि के जन्मों में रखना आदि की रामायण शुरु करना और पुनः गर्भ में अथवा अंडे में उस जीव के अंगोपांगों से युक्त सम्पूर्ण शरीर बनाना और फिर जन्म मरण तक की सारी प्रक्रिया करना यह सब करते ही रहना पड़े - ईश्वर के सिर पर यह सारा ही उत्तरदायित्व रहेगा - क्यों कि वह कर्ता हैं ।
ईश्वर के यह कार्य तो अविरतरुप से सतत करते ही रहना पड़े। जिन जीवों के ईश्वर ने बनाया उनकी सेवा करने का काम ईश्वर का ही, क्यों कि ईश्वर ही कर्ता है, जीव तो कुछ भी है ही नहीं । जीव की इच्छा तो चलती ही नहीं है । एक मात्र ईश्वर की ही इच्छा चलती हैं, अतःकिसी भी अन्य जीव को तो कुछ भी करना नहीं होता । जो कुछ भी करना हो वह सब ईश्वर के सिर पर ही रहेगा ?
. दूसरी बात यह हैं कि जीवों की संख्या कितनी ?अनंत... कितने जन्म लेते हैं ?और कितने मरते हैं... तो कहते हैं अनंत ! अतः फिर या तो एक ही ईश्वर को अनंत रुप धारण करते पड़े या अनंत स्वतंत्र ईश्वरों की व्यवस्था करनी पड़े । क्यों कि एक-एक जीव के पीछे एक एक ईश्वर तो लगाना पड़ेगा ? फिर वह एक ईश्वर स्वयं स्वतंत्र ईश्वर है या एक ही ईश्वर के अनंत रुपों की ही प्रतिकृति हैं ?कुछ भी हो पर होना चाहिये - यह बात तो स्पष्ट हो ही गई और वह भी एक-एक जीव के पीछे एक-एक ईश्वर अनंतकाल तक निर्धारित कर रखना पड़े, क्यों कि एक जीव कितनी बार जन्म लेगा और कितनी बार मरेगा ? इसकी कोई गणना ही नहीं है। जहाँ तक जीव मोक्ष में नहीं जाएगा अथवा जहाँ तक जीव स्वयं शिव नहीं बनेगा वहाँ तक तो यह जीव ८४ लाख जीव-योनियों में जन्म -मरण धारण करता ही रहेगा...एक ही जन्म में तो वह अनंत काल तक रहने वाला है नहीं, उसे दूसरी गतिजाति में जाना ही पड़ेगा और उसमें भी उसकी स्वयं की इच्छा तो काम आएगी ही नहीं । वहाँ तो एक मात्र ईश्वरेछा ही काम आएगी । इसका कारण यह है कि जीव तो मात्र कठपुतली है, उसमें स्वयं का तो कुछ भी नहीं है । वह तो प्रतिबिंब मात्र है । एक मात्र ईश्वर ही ब्रह्म स्वरुप है । जीव जिसका प्रतिबिंब है उस में क्रिया तो ईश्वर के द्वारा ही संभव है । व्यक्ति जिस प्रकार नाचेगा - कूदेगा-चलेगा -फिरेगा
195