SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 214
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ प्रभा -Reflection के रुप में आने वाले प्रकाश को प्रभा कहते हैं । सामने दीवार पर धूप आने के बाद सामने उसका प्रकाश गिरता है - इसे प्रभा कहते हैं। ये सभी पुद्गल पदार्थ हैं । विज्ञान जड़ विज्ञान के रुप में जाना जाता है अतः उसने मात्र भौतिक पदार्थों को ही स्वीकारा है और इसीलिये उसकी शोध भौतिक पदार्थों तक ही सीमित रही है । पौद्गलिक पदार्थ ही यंत्र या साधन ग्राहय बनते हैं और वे ही इन्द्रिय ग्राह्य भी बनते हैं । अजीव पदार्थ के १४ भेद . अजीव के भेद धर्मास्तिकाय अधर्मास्तिकाय आकाशास्तिकाय काल पुद्गलस्तिकाय ३ , १ ४ = १४ स्कंध देश प्रदेश स्कंध देश प्रदेश स्कंध देश प्रदेश स्कंध देश प्रदेश परमाणु . धम्माधम्मागासा, तिय तिय भेया तहेव अद्धा य । . खंधा देस पएसा, परमाणु अजीव चउदसहा ॥ जैसा कि चित्र में दर्शित है एक अखंड द्रव्य स्वतंत्र स्कंध कहलाता है । उसका एक छोटा सा भाग देश कहलाता है a isevisetu] और सबसे छोटा अविभाज्य अंश जहाँ तक प्कंध के साथ जुड़ा रहेगा तब तक वह प्रदेश CARAL प्रो | कहलाएगा और वही प्रदेश स्कंध से अलग - પરમાણું Jहो जाने पर परमाणु कहलाता है । यही बात दूसरे दृष्टांत से भी समझ सकेंगे । उदाहरणार्थ एक अखंड लड्डू स्कंध कहलाएगा और उसका आंशिक भाग देश कहलाएगा । उसी का एक अविभाज्य भाग जो स्कंध के साथ जुड़ा हुआ होगा वह प्रदेश कहलाएगा और अंत में उस स्कंध से स्वतंत्र बना हुआ अलग पड़ा हुआ प्रदेश अविभाज्य पुद्गल का अंश परमाणु कहलाएगा । अणु और परमाणु दोनों एक ही अर्थ में प्रयुक्त शब्द हैं । वर्तमान विज्ञान एक अणु के साथ इलेक्ट्रोन, प्रोटोन, न्यूट्रोन और नए संदर्भ में प्रोजोटोन भी मानता है और परमाणु विभाजीत हो सकता है ऐसी 192
SR No.002485
Book TitleNamaskar Mahamantra Ka Anuprekshatmak Vigyan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorArunvijay
PublisherMahavir Research Foundation
Publication Year1998
Total Pages480
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size13 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy