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करने का सामर्थ्य होता हैं ।
५ इन्द्रियाँ
स्पर्शेन्द्रिय
रसनेन्द्रिय
घ्राणेन्द्रिय
चक्षुरिन्द्रय
कर्णेन्द्रिय(श्रवणेन्द्रिय)
१.
२.
३.
४.
वर्ण-गंध-रस-स्पर्शादि :
:
तिक्त
शरीर के अंग
चमड़ी
जिया
नासिका
नेत्र
कान
३
२३
इस प्रकार ५ इन्द्रियाँ २३ विषय ग्रहण करती हैं । जो पदार्थ इन्द्रियों के द्वारा ग्रहण किये जाते हैं वे पुद्गलों से निर्मित होते हैं - पौद्गलिक हैं, और जो इन्द्रियों के द्वारा ग्रहण नहीं होते हैं ये अपौद्गलिक हैं, पुद्गल से भिन्न हैं । वे धर्मास्तिकायादि हैं । उनमे रुप-रंग-रस- स्पर्शादि गुण न होने से वे अरुपी हैं - रुपरंग-रहित हैं अतः आत्मा आदि पदार्थ आँखों द्वारा कैसे देखे जा सकते हैं ? पाँचों में से कोई भी इन्द्रिय ग्राह्य कैसे बन सकती है ? उनमें तदनुकूल गुण ही नहीं हैं।
1
हरा
• लालं
गुणी होते हैं। बिना गुणी के गुण स्वतंत्र रूप से नहीं रहते । वर्ण -गंध-रुप स्पर्शादि गुण बताने के लिये उनके आश्रयी पदार्थों को इस चित्र में दर्शाया गया है । उनकी संख्या तथा नामादि का निर्देश भी स्पष्ट किया है । उसे देखने से बात स्पष्ट रूप से समझ में आ जाएगी ।
I
काला
वर्ण
पीला
• सफेद
स्वट्टा
रस
विषय
स्पर्श
दुर्गंध
रस
गंध
रुप (वर्ण)
ध्वनि
कोमल
सुगंध
कठोर
संख्या
८
उष्ण
स्निग्ध
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