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स्थिति - आकृति में अनादिकाल से अपना अस्तित्व बनाए हुए हैं । अतः इसके इसी स्वरुप का वर्णन ज्ञानीजनों ने किया है जिसके तीन विभाग हैं :
(१) ऊर्ध्व लोक- स्वर्ग अथवा देवलोक । (२) तिर्छालोक - मनुष्य क्षेत्र अथवा तिर्यग् लोक ।
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વ્યંતર लपति
કિલ્બિષિક ચર સ્થિર જ્યોતિષ્ઠ 'દ્વીપ સમુદ્ર
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न२५३
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નરક છે.
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असनाडा:
(३) अधोलोक-नरक क्षेत्र या पाताल ।
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