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होती जाती है । हवा, पानी, पृथ्वी, वायु, आकाश आदि तत्त्व बनते जाते है । फिर जीव सृष्टि बनाता है । सब कुछ उसके नियंत्रण में रहता है, उसी की इच्छानुसार चलता है । खुदा की दया - कृपा पर ही जगत चलता है । मुस्लिम संप्रदाय के इस्लाम धर्म का जगत कर्ता और सृष्टि विषयक यह मत है ।
पारसी मतानुसार सृष्टि :
पारसी धर्म में भी सृष्टि संबंधी विचारणा की गई है, श्रीमती मेहेरजी सोहराबजी - 'अखंड दुनिया की उत्पत्ति' नामक पुस्तक में लिखती है कि - आरंभ
कुछ भी न था । सर्व प्रथम प्रकाश का एक झरना उत्पन्न हुआ । उसके कोने में हीरे की तरह चमकता हुआ बीज हवा - पानी का वीर्य उत्पन्न हुआ जिसका मालिक
दादार है । वह बीज विकसित हुआ और उसमें से गुलाब की एक डाली निकली। उसके छोर पर मेहेरदावर गुलाब का पुष्प खिला । उसमें से वृक्ष उत्पन्न हुए । इस पुष्प के छिद्र में से हवा निकली । इस हवा से २४ घंटो का दिन हुआ । चल हवा के पश्चात् डेढ़ घंटे में तारा बना । डेढ़-डेढ़ घंटे की गणना की गई है । इन चतुर्घटिकाओं के नाम की हवा निकली और उसमें से बहुत कुछ बनता गया । फिर आदम भी हवा से उत्पन्न हुआ । २४ मिनिट में आदम पारसी का धर्म उत्पन्न होने की मान्यता है ।
दूसरी तरह से ४ हवा से तारी के रुप में कुदरत धर्म उत्पन्न हुआ । स्वर्ण महल में स्वर्णिम देहवाले आद्रम और कुदरत थे । आदम आठवे सितारे का जीव मानता है । इसी दुनिया में जो प्रथम जीव था उसका नाम मेहेआबाद था । वर्तमान सारी प्रजा उसी मेहेआबाद की सन्तति है । सब की उत्पत्ति का मूल हवा को ही माननेवाले पारसी कहते हैं कि - हवा के परिवर्तन से ही जगत में सुकाल - दुष्काल, युद्ध, चुहों की उत्पत्ति वृद्धि, महामारी, धूल की वृष्टि आदि होते हैं ।
हकीम और गुशाताद बादशाह के प्रश्नोत्तर ग्रंथ जामांसवी में कहते है कि आदम में नर-नारी और नान्यतर तीन जातियाँ थी । गुलाब के फूल के बीज की प्रथम हवा में से धरती उत्पन्न हुई । उसी हवा से वायु-पानी, प्रकाश का झरना हुआ। दूसरे अवतार रूप अहरमझद से पानी की उत्पत्ति हुई । शुक्र तारे से बिजली हुई । आदम ने नौ हवा की सहायता से आकाश और धरती का निर्माण किया । इस निर्माण कार्य में १११४ वर्ष लगे । इस आदम की उत्पत्ति ही जगत में प्रथम
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