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________________ के लिये हरी वनस्पति और घास - चारा चारों और उगाया है - ऐसा देव ने बताया। यह सब देव ने छठे दिन किया और देखा । कहा जाता है कि यहोवाह देव ने भूमि की मिट्टी में से मानव की रचना करके उसके नथने में जीवन-श्वास फूंका जिससे वह सजीव प्राणी हुआ । आगे यह भी कहा गया है कि - देव ने आदम (आदमी) को गहन निद्राधीन बनाकर उसकी पसलियों में से एक पसली निकाल कर उसके स्थान पर माँस भर दिया और उस पसली से एक नारी बनाकर उस मानव के पास ले आया । उन दोनों के संसर्ग से मनुष्य का वंश चला । आदम ६३० वर्ष और उसका पुत्र शेष ९०० वर्ष तक जीवित रहा । तत्पश्चात् जल प्रलय, अग्नि, वृष्टि, जल मग्नता आदि द्वारा कई बार जनसंहार किया था । दृष्टांत वचन प्रकरण ग्रंथ में बहुत कुछ कहा गया है । यमोशाह प्रकरण भी इससे संबंधित विचारणा से भरा पड़ा है । इस प्रकार अनेक प्रकरण है जिन में सृष्टि विषयक विचारणा की गई है। सातवे दिन देव ने अपना सृष्टि रचना का पृथ्वी आदि का कार्य पूर्ण किया और सभी कार्यों से स्वस्थ हुआ । देव ने सातवे साब्बाय दिन को आशिर्वाद प्रदान कर पवित्र घोषित किया, क्यों कि वह उस दिन सब प्रकार की वस्तुओं के निर्माण कार्य से निवृत्त हो चुका था अतः कहते है कि देव ने सातवे दिन कोHoly Day Sunday के रुप मे रखा । पवित्र दिन । ६ दिन तक सृष्टि निर्माण करने में देव को जितना पाप लगा, जो दोष लगे - उन्हें धोने के लिये उनका निवारण करने हेतु देव ने सातवे दिन पवित्र बनने के लिए प्रार्थना आदि की । वह सातवा दिन सूर्य का था अतः उसका नाम रखा । अर्थात छुट्टी का दिन नहीं बल्कि पवित्रदिन होता है । स्कूलों - कॉलेजों में हम लोग अवकाश रखने लगे अतः से छुट्टी का दिन के अर्थ में प्रचलित हो गया । देव को भी ६ दि तक सृष्टि निर्माण करने में थकान हुई, पाप भी लगा अतः सातवे दिन वह देव अपनी थकान दूर करके स्वस्थ होता है और प्रार्थना करके सृष्टि रचना में लगे हुए पाप का प्रक्षालन कर पवित्र होता है । इस प्रकार ईसाई धर्म में आदि देव के सृष्टि उत्पन्न करने का उल्लेख है । मात्र आदेश द्वारा पलक मात्र में सृष्टि निर्माण करने का वर्णन है । इस्लाम धर्म की सृष्टि विषयक मान्यता :. इस्लाम धर्म के अनुयायी मुस्लिम अथवा मुसलमान के नाम से जाने जाते 163
SR No.002485
Book TitleNamaskar Mahamantra Ka Anuprekshatmak Vigyan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorArunvijay
PublisherMahavir Research Foundation
Publication Year1998
Total Pages480
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size13 MB
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