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महत्ताः दिखाई पड़ती है । इसीलिये काल दुरतिक्रम है अर्थात् इसका उल्लंघन करना बड़ा ही कष्टमय है। स्वभाववादी का मत :- ‘स्वभावतः सर्वमिदं प्रवृत्तं' - स्वभाव से ही सब कुछ प्रवर्तित है । कौन सी व्यक्ति है जो काँटों को नुकीले तीक्ष्ण करती है, मयूर - मृग - तोते आदि पशु-पक्षियों को मनोहर रंग-बिरंगे रंगो से चित्रित कौन करता है ? कोई भी नहीं । स्वयं की इच्छा से कुछ भी नहीं होता, सब कुछ स्वभाव से ही होता है । प्रत्येक कार्य का कारण-स्वयं का स्वभाव ही है, सभी पदार्थ स्वभाव से ही उत्पन्न होते हैं, जैसे कि मिट्टी में घड़ा बनने का स्वभाव है, आटे में रोटी बनने का स्वभाव है, इसीलिये उसी में से वह बन पाती है । सीमेंट से रोटी नहीं बनती और आटे से मकान नहीं बनता । धागे में से ही वस्त्र बुना जाता है । स्वभाव से ही मूंग सीझ जाते है जब कि कठोर गैंग का स्वभाव सीझने योग्य न होने के कारण वे लाख प्रयत्न करने पर भी नहीं पकते । इक्षु में माधुर्य, पान में लालिमा, पुष्प में सौरभ और चंदन में शीतलता संबंधित पदार्थों की स्वभावजन्यस्थिति के कारण है । अतः स्वभाव से ही सब कुछ होता है । कोई स्वभाव को ही प्रकृति कहते हैं । प्रकृति का अर्थ ही स्वभाव कहा जाता है । इसीलिये सृष्टि को प्राकृतिक अर्थात् स्वभावोत्पन्न कहनेवाले भी हैं। दैववादी का कथन :- दैव अर्थात् भाग्य । मात्र दैव या भाग्य को ही सभी कार्यों में एक मात्र प्रधानकारण माननेवाले दैववादी कहते हैं कि - स्वच्छंद रुप से धन, गुण, विद्या, धर्माचरण, सुख-दुःख आदि नहीं रहते, न आते है परन्तु काले रुपी रथारुढ दैव स्वेच्छानुसार जिसे जहाँ ले जाता है वहाँ सभी जाते हैं, अर्थात् भाग्य से ही सब कुछ होता है । जो भी होता है वह सब दैवयोग से ही घटित होता है । काल तो उसमें निमित्त - कारण मात्र होता है । अन्य अनेक निमित्त - कारण होने के बावजुद भी मुख्य कारण तो एक मात्र दैव है । स्पष्ट शब्दों में कहा गया है कि – दैवं यतो जयति तेन यथा व्रजामि - भाग्य ही प्रबल है - भाग्य ही बलवान है । अतरवादियों का मत :- अक्षर से क्षर का काल उत्पन्न होता है - इस हेतु से काल को व्यापक माना गया है । व्यापकादि प्रकृति तक को ही सृष्टि कहा जाता है। एक प्रकार से अक्षरवादी भी कालवादियों के जैसे ही होते है।
कुछ अन्य लोग कहते कि - प्रथम अक्षरांश के पश्चात् उसमें वायु की उत्पत्ति हुई। उस वायु में अग्नि (प्रकाश) उत्पन्न हुई, अग्नि से पानी घना और पानी
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