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________________ मंत्र बना दिया है । प्रभु का नाम मंत्र है या नमस्कार मंत्र है ? 'नमो अरिहंताणं' पद में अरिहंत प्रभुवाची पद है और नमस्कार हमारी क्रिया का द्योतक पद हैं । ___एक ही पद में हमारा और प्रभु का दोनों का सूचन किया गया है । हमारे लिये प्रयुक्त नमो पद नम्रता लघुता का सूचक है जब कि प्रभु के लिये प्रयुक्त अरिहंत पद प्रभुता का सूचक है । अब इन दोनों में से हम मंत्र किसे बनाएँ ? या नमो अरिहंताणं दोनो को संयुक्त कर मंत्र बनाना अधिक उपयुक्त है ? क्या किया जाए ? प्रचलितता नमो अरिहंताणं की ही है और यह ठीक भी है, क्यों कि दोनों पदों को अलग अलग करके किसी एक पद को स्वीकार करेंगे तब भी हमारा कार्य तो सिद्ध नहीं होगा । अतः दोनों को साथ में रखने में ही अधिक लाभ है । इसका कारण यह है कि अरिहंतरहित अकेले नमस्कार का क्या मूल्य ? फिर नमस्कार ही किसे और नमस्कार रहित मात्र अरिहंत पद रखते हैं तो क्या करना ? कौन सी क्रिया करें ? माँगे बिना माँ भी नहीं देती, तो नमस्कार किये बिना तो अरिहंत के योग से भी तिर जाना संभव नहीं है । अतः नमो अरिहंताणं यह संपूर्ण मंत्र ही लाभदायी होगा। ___ नमो स्वपक्ष से लाभदायी है क्यों कि नमो में लघुता प्रदर्शित है, जब कि परपक्ष से प्रभुता द्योतक अरिहंत पद है । एक ही पद में लघुता और प्रभुता दोनों प्रकट होती हैं । नमस्कार करने वाले की नम्रता लघुता, विनय विवेक सूचक पद नमो पद है । नमोगुण को जैसे ही हाथ मे लिया उपयोग में लेकर क्रियान्वित किया कि हमारी लघुता - नम्रता निश्चित रुप से प्रकट हो जाएगी। . हम नमस्कार किन्हें करते हैं ? हम नमस्कार अरिहंतादि को करते हैं। यह नमस्कार हमारे लिये लाभप्रद है अथवा अरिहंतादि के लिये ? निश्चितरुप से यह हमारे लिये ही लाभप्रद है, परन्तु हमारे नमस्कार से पर पक्ष में अरिहंतादि की प्रभुता, श्रेष्ठता, बड़प्पन, गरिमा में वृद्धि होती है । वृद्धि में निमित्तभूत सहयोगिता का लाभ हमारे हिस्से में आता है । जैसे जैसे परपक्ष में अरिहंतादि की प्रभुता, श्रेष्ठता अथवा सर्वोत्कृष्टतामें वृद्धि होती जाएगी वैसे वैसे हमारे में नमस्कार की गुणवत्ता भी बढ़ती जाएगी । इस प्रकार दोनों ही पक्षों में लाभ ही लाभ हैं। 115
SR No.002485
Book TitleNamaskar Mahamantra Ka Anuprekshatmak Vigyan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorArunvijay
PublisherMahavir Research Foundation
Publication Year1998
Total Pages480
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size13 MB
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