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क्या सिद्धशिला पर खाली जगह है ?
वैसे भूतकाल में काल अनन्तगुना बीत चुका है । अनन्त काल से संसारी जीव मोक्ष में जा रहे हैं । जाते रहे हैं। इसमें अनन्त काल में अनन्त जीव जो मोक्ष में जा चुके हैं। अतः सिद्धात्मा भी अनन्त हैं । अतः यहाँ प्रश्न उठता है कि... लोकान्त के भाग में क्या बिना सिद्धों की जगह खाली होगी ? या खाली जगह होगी कि नहीं होगी ? यदि खाली जगह होगी तो कौनसी ? और क्यों खाली रही ? आखिर क्या कारण रहा ?
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प्रश्न भी सही हैं । समझने जैसे हैं। इससे विषय और ज्यादा स्पष्ट होता है । यह चित्र देखिए.... ढाई द्वीप - समुद्रों का नक्षा है । इसमें १) जंबुद्वीप है, २) धातकी खंड हैं और ३) पुष्करार्धद्वीप है (यह आधा है) । बीच में लवण और कालोदधि नामक दो वृत्त - गोल समुद्र है । असंख्य द्वीप समुद्रों में मनुष्य क्षेत्र अर्थात् मनुष्यों की उत्पत्ति-मुत्यु - आबादीवाला सिर्फ ढाई द्वीप ही है । इस ढाई द्वीप में भी १५ कर्मभूमियों में से ही मोक्ष में जाते हैं। शेष ३० अकर्मभूमि में से, और ५६ अंतद्वीप में न तो भगवान है, न ही धर्म है, और न ही गुरु है । वहाँ मोक्ष के अनुरूप और अनुकूल कोई सामग्री उपलब्ध ही नहीं है । अतः ३० + ५६ = ८६ क्षेत्र भूमि में से तो मोक्ष में जाने की कोई संभावना ही नहीं रहती है । यदि कर्मभूमि का कोई साधक मनुष्य मोक्षानुरूप साधना करता-करता संयोगवश अकर्म भूमि में आ भी जाय तो भी वह वहाँ से भी मोक्ष प्राप्त नहीं कर सकता है । वह कर्मभूमिज के १५ प्रकार में से ही होगा तो ही मोक्ष में जा पाएगा । अकर्मभूमिज तो किसी भी परिस्थिति में संभव ही नहीं है । लेकिन ऐसे भी अपवाद रूप है। अकर्मभूमिज जीव कर्मभूमि में आकर मोक्ष में जाय ऐसे अपवादरूप दृष्टान्त होतें हैं ।
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जैसा कि पहले विचारणा कर आए हैं कि मोक्ष में जानेवाला जीव.... ९० के कोन तरह बिल्कुल सीध गति में ऊपर की दिशा में गति करके ही लोकान्त तक ऊपर जाता
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आध्यात्मिक विकास यात्रा