SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 441
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ २) अजिनसिद्ध-जो... जीव तीर्थंकर पद पाए . बिना...अर्थात् अरिहंत भगवान बने बिना ही मोक्ष में जाय वे सभी अजिन सिद्ध के भेदों की गणना में गिने जाते हैं। उदाहरणार्थ... गौतमस्वामी, पुंडरीकस्वामी आदि गणधर ' पद पाकर मोक्ष में गए हैं । वे तीर्थंकर नहीं बने । अतः वे अजिनसिद्ध कहलाते हैं। ३) तीर्थसिद्ध- तीर्थंकर बनकर अरिहंत परमात्मा केवलज्ञान पाकर समवसरण , में देशना देकर धर्मतीर्थ की स्थापना करते हैं। गणधरों की स्थापना करते हैं। साधु-साध्वी श्रावक-श्राविका रूप चतुर्विध संघ की . स्थापना करते हैं । गणधर तथा श्री संघ'तीर्थ' रूप कहलाते हैं । ऐसे तीर्थ की स्थापना हो जाने के बाद उनके तीर्थ काल अर्थात् शासन काल में जो मोक्ष में जाते हैं वे तीर्थसिद्ध' भेद की गणना में आते हैं। गणधर आदि तीर्थ सिद्ध कहे जाते हैं । जैसे कि भ० महावीर प्रभु की विद्यमानता के काल में ही उनके ९ गणधर राजगृही से मोक्ष में गए । या तीर्थंकर के निर्वाण के पश्चात् भी उनका शासन-'तीर्थ' प्रवर्तमान रहता है। उसमें भी कोई मोक्ष में जाए वे तीर्थसिद्ध कहलाते हैं। ४) अतीर्थसिद्ध- इसी तरह उपरोक्त तीर्थ का विषय समझकर ऐसे तीर्थ की स्थापना ही नहीं हुई हो उसके पहले ही कोई आत्मा मोक्ष में जाय, या फिर तीर्थ का विच्छेद ही हो जाय और उस विच्छेद काल में ही कोई जीव मोक्ष में जाय उसे अतीर्थ सिद्ध कहते हैं । ये दो प्रकार हुए अतीर्थ सिद्ध के । पहले प्रकार में मरुदेवी माता का दृष्टान्त आता है। जैसे कि ... भगवान आदिनाथ ऋषभदेव प्रभु को केवलज्ञान प्राप्त हुआ, और अभी देशना देनी, तीर्थ की स्थापना करनी अवशिष्ट है इतने में तो भरतजी मरुदेवी माता को हाथी पर बैठाकर ला रहे थे। इतने में भावना के उद्रेक से मरुदेवी माता शुक्लध्यान की धारा में क्षपक श्रेणी प्रारम्भ कर सीधे १३ वे गुणस्थान पर पहुंची। केवलज्ञान भी पा लिया। दूसरी तरफ उनका आयुष्यकाल बिल्कुल कम था। अतःआयुष्य विकास का अन्त "सिद्धत्व की प्राप्ति" १३९७
SR No.002484
Book TitleAadhyatmik Vikas Yatra Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorArunvijay
PublisherVasupujyaswami Jain SMP Sangh
Publication Year2010
Total Pages534
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy