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लेती है । ये क्षेत्र १५ कर्मभूमि के५ भरत + ५ ऐरावत तथा + ५ महाविदेह के मिलाकर हैं। बस, इन १५ कर्मभूमि में जन्मे हुए गर्भज संज्ञि पर्याप्त पंचेन्द्रिय मनुष्य ही मोक्ष में जा सकते हैं। इनमें ही योग्यता-पात्रता मोक्ष में जाने की है। अतः ये ही मोक्ष में जाने योग्य अधिकारी हैं । बस, इनके अतिरिक्त अन्य कोई भी मोक्ष में जाने के अधिकारी नहीं है। यह शाश्वत सिद्धान्त है। तीनों काल में अपरिवर्तनशील है। इस विवेचन से स्पष्ट ख्याल आता है कि मोक्ष में जाने के लिए क्षेत्र की योग्यता, अनुकूलतादि कितनी महत्त्वपूर्ण बात
है?
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सिद्ध क्षेत्र की पवित्र सिद्ध भूमि
उपरोक्त १५ कर्मभूमियों में १ प्रकार जंबुद्वीप के भरतक्षेत्र का है । ५ भरतक्षेत्रों में से जंबुद्वीप का भरतक्षेत्र एक है। भरत क्षेत्र के छ खंडों में से मध्य खंड में भारत देश (जो वर्तमान भारत-हिन्दुस्थान) है । उसके अनेक राज्यों में से गुजरात राज्य के सौराष्ट्र प्रदेश के भावनगर जिले में श्री शत्रुजय सिद्ध क्षेत्र है। जहाँ से कंकड कंकड
की भूमि पर से अनन्त आत्माएँ मोक्ष
__ में गई हैं। जिसमें २० क्रोड के श्रमण परिवार के साथ पांडव मोक्ष में गए हैं । ५ क्रोड के साथ पंडरीक स्वामी मोक्ष में गए हैं। ३ क्रोड के साथ रामचंद्रजी मोक्ष में गए हैं । ९१ लाख के साथ नारदजी मोक्ष में गए हैं। शिव सोमजसाजी १३ क्रोड के साथ, तथा १५२५५७७७ साधु-साध्वीजियों के साथ श्री शान्तिनाथ भगवान पालीताणा में चातुर्मास करके मोक्ष में गये हैं । थावच्चा पुत्र १००० के साथ मोक्ष में गये । ऐसे कई महा पुरुष पालीताणा श्री शत्रुजय तीर्थ से मोक्ष में गए हैं। लिस्ट लिखने जाए तो बहुत बडी-लम्बी यादी है । इतना यहाँ स्थान भी खाली नहीं है अतः ग्रन्थ विस्तार के भय से नहीं लिख रहा हूँ। जिज्ञासु सूज्ञों को “श्री शत्रुजय कल्प" ग्रन्थ से सविस्तर विशेष जानकारी प्राप्त करनी चाहिए। इसलिए प्रायः शाश्वत कहे गए इस तीर्थ से “कांकरे कांकरे सिद्ध्या अनन्त" अर्थात् कंकज-कंकड की भूमि पर से अनन्त
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आध्यात्मिक विकास यात्रा