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________________ 1 1 आया । अब वह आगे अपने ही घर रूप ११ वे गुणस्थान में ही जाएगा । बस, ११ वे तक ही उसका विकास संभव है। आगे तो कभी अनन्तकाल में भी संभव ही नहीं है । इसलिए ११ वाँ उपशान्त मोह गुणस्थान एकमात्र उपशम श्रेणीवाले शामक जीव के लिए ही विश्रान्ति का स्थान है । और वह भी एकमात्र २ घडी = ४८ मिनिट का ही है बस, फिर आगे तो बढ़ ही नहीं सकता है इसलिए वापिस नीचे पतन की दिशा में मुड़ता है । अब क्रमशः एक-एक गुणस्थान पर भी पतन संभव है या सीधे पहले गुण तक भी पतन संभव है । जैसे कोई सीढियों पर से गिरता है तो या तो सीधे ही नीचली अन्तिम सीढी तक गिर जाता है । और दूसरा यदि गिरता भी है तो मानो लेटता हुआ क्रमशः सभी गुणस्थानों पर गिरता गिरता गिरता ही जाता I है 1 १) पतन 1 जी हाँ, . चित्र 'अ' में देखिएउपशम श्रेणीवाला शमक साधक जब गिरता है तो कैसे गिरता है ? वह बराबर क्रमशः गिरता है । ११ वे से १० वे, १० वे से ९ वे, फिर ९ वे से आठवें, और इसी तरह पतन के गिरते समय यावत् १ ले मिथ्यात्व गुणस्थान. पर भी अन्ततः आकर गिर सकता है । उसे क्रमिक पतन कहते हैं । जरूरी नहीं है कि सभी १ ले मिथ्यात्व पर आए ही । नहीं । ११२४ आध्यात्मिक विकास यात्रा w 只 m
SR No.002484
Book TitleAadhyatmik Vikas Yatra Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorArunvijay
PublisherVasupujyaswami Jain SMP Sangh
Publication Year2010
Total Pages534
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
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