SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 65
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ८) अजीर्णे भोजन त्याग-“शरीरं खलु आद्यं धर्मसाधनं” – शरीर यह प्रथम धर्म का साधन है इसे अच्छी तरह समझते हुए धर्मयोग्य शरीर को बनाते हुए स्वास्थ्य के नियमों का ख्याल रखते हुए अजीर्ण में भोजन का सर्वथा त्याग करना चाहिए। आमाजीर्णादि ६ प्रकार के अजीर्णों को भलीभांति समझकर.सर्व रोगों के मूल कारणभूत अजीर्ण में नए भोजन का सर्वथा त्याग करना चाहिए। ९) काले परिमित भोजन-हितकारी-मितकारी-सीमित-परिमित भोजन ही करना आरोग्यप्रद है। अल्पाहारी दीर्घजीवी निरोगी बनता है । तथा धर्म के अनुरूप मांसाहार, विषाहार-अभक्ष्य आहार का सर्वथा त्याग करके सत्यगुणवर्धक ऐसा सात्विक भोजन ही करें । उचित समय पर ही भोजन करें । रात्रि आदि अयोग्य काल में न करें। शुद्धिपूर्वक आसनपर बैठकर विधिवत् भोजन करें । रास्तेपर सर्वथा न करें। १०) त्रिवर्ग अबाधा- धर्म, अर्थ और काम ये तीन वर्ग हैं । इन तीनों को बाधा न पहुँचे इस तरह व्यवहार-वर्तन करना चाहिए । धर्माराधना, धर्माचरण को बाधा न पहुँचे, अर्थ-धनोपार्जन का एवं उचित विधेय कार्यों को पूर्ण कर सके उस तरह बाधा न पहुँचे वैसा व्यवहार-आचार रखें। जीवनप्रधान ११) लोकप्रियता- मार्गानुसारी साधक को अपने नम्रता-सरलतापरोपकारिता आदि गुणों का विकास करते हुए मृदु-प्रियभाषी बनते हुए, परदुःखनिवारक बनते हुए विशेष रूप से जनवल्लभ-लोकप्रिय बनना चाहिए। १२) बलाबल विवेक-संसार में किसी से भी व्यवहार करते समय अपनी कार्य शक्ति–विवेक आदि का विचार करके ही कार्य करना उचित है । अपने सामर्थ्य के बाहर करने में नुकसान की संभावना है । सक्षम हो तो ही करो और असमर्थ हो तो शान्त रहो। विवेक जरुरी है। १३) सत्संग-सदा ही संतो-महात्माओं, कल्याण मित्रों, उत्तम पुरुषों का सत्संग करना चाहिए । संगत अच्छी रहने पर आचार-विचार में अच्छापन आने की,आगे विकास की, पतन से बचने की संभावना अच्छी रहती है । संत-समागम से डाकू साधु बन जाता है। शैतान इन्सान बन सकता है। सम्यक्त्व गुणस्थान पर आरोहण ४७३
SR No.002483
Book TitleAadhyatmik Vikas Yatra Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorArunvijay
PublisherVasupujyaswami Jain SMP Sangh
Publication Year2007
Total Pages570
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy