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गुणों के धारक ऐसे गुरु महाराज होते हैं । इनमें पहले १८ और बाद में दूसरे १८ इन ३६ गुणों की जो व्यवस्था की है उनमें ... आभ्यन्तर मानसिक भूमिका के आचरण की प्रधानतावाले पहले १८ गुण हैं। और दूसरी गाथा में बाह्य आचार धर्म के पालन रूप शेष १८ गुण हैं । इस तरह बाह्य-आभ्यंतर भाववाले ३६ गुण हैं । इससे स्पष्ट होता है कि साधु मात्र बाह्य दृष्टि से ही न हो आभ्यन्तर कक्षा की भावना से भी वह पूर्ण रूप से साधु हो । ऐसे गुणधारक गुरु का स्वरूप निर्णीत किया गया है । इन गुणों के धारक जो भी हो वे मेरे गुरु है ऐसा सूत्र की अंतिम पंक्ति में कहा है । ऐसा नहीं कहा है कि इन गुणों के धारक हो वे आचार्य कहलाते हैं । ऐसा पाठ नहीं है । यह आचार्य उपाध्याय या साधु विशेष का वर्णन करनेवाला सूत्र नहीं है, परन्तु तीनों का सम्मिलित स्वरूप दर्शानेवाला गुरूपद वाची सूत्र है । गुरु में तीनों आ रहे हैं।
__ यहाँ ३६ गुणों की संख्या आने के कारण वैसी सादृश्यता के कारण भ्रान्ति खडी कर दी गई कि ये ३६ आचार्य के ही गुण हैं । ऐसा उचित नहीं लगता है । ये ३६ गुण उपाध्याय में भी होने आवश्यक ही हैं। इसी तरह ये ३६ सभी गुण साधु में भी होने आवश्यक ही हैं । अतः यह सर्व सामान्य गुण हैं जो तीनों में समान रूप से होने अनिवार्य हैं । अतः ये प्राथमिक कक्षा के गुण हैं । ऐसा भी नहीं कहा जा सकता है कि इन ३६ गुणों में से ब्रह्मचर्य की वाड के ९ गुण कम कर देने पर साधु के २७ गुण आ जाएंगे। नहीं ! यह भी उचित नहीं हैं। क्योंकि साधु को भी ब्रह्मचर्य की नौं वाड पालनी अनिवार्य है। उसी तरह उपाध्यायजी के लिए भी पालनी अनिवार्य ही है। क्योंकि तीनों ही मूलभूत साधु तो है ही। अतः ये ३६ गुण गुरु पद के रखे जाय यही उत्तम है । मात्र आचार्य पद के ये ३६ गुण रखने यह उचित नहीं लगता है। .. - अतः ये ३६ अनिवार्य प्राथमिक गुण रखकर फिर आगे उन उन परमेष्ठि के गुणों की संख्या रखने से सही संख्या आएगी । इस तरह करने पर ऐसी संख्या आएगी* आचार्य महाराज- मूलभूत गुरूपद के ३६ गुण + आचार्य पद के ३६ गुण . * उपाध्यायजी महाराज- मूलभूत गुरूपद के ३६ गुण + उपाध्यायपद के २५ गुण * साधु महाराज- मूलभूत गुरूपद के ३६ गुण + साधुपद के २७ गुण अनेक रीत से गुणों का वर्गीकरण
इस तरह शास्त्रों में एक तरीके से गुणों के संग्रहरूप छत्तिसी आदि बताई है-३६ गुणों की छत्तिसी । २५ गुणों की पच्चिसी, और २७ गुणों की सत्ताविसी (सत्ताइसी) । एक
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आध्यात्मिक विकास यात्रा