________________
अध्याय ९ का प्रवेश द्वार सम्यक्त्व प्राप्ति का अद्भूत आनन्द
.५२४
......५२५
.५३२
.....3x
सम्यक्त्व प्राप्ति के दो प्रकार..... सम्यक्त्व का महा फल............................ सम्यक्त्व की व्याख्या एवं स्वरुप.................. यथार्थ सत्य स्वरुप सम्यक्त्व....................... देव-गुरु-धर्म का सही स्वरुप........................५३० भ्रममूलक व्याख्या और अर्थ.........................५३१ सम्यक्त्व के विविध प्रकार......................... निश्चय सम्यक्त्व ................................... दशविध सम्यक्त्व .................................. .५३९ समकित के ६७ बोल................................५४१ सम्यग् दर्शन में जानना और मानना..................
..५४२ सम्यग् एवं श्रद्धा उभय की उपयोगिता................५४४ सत्य असत्य का चतुभगा............................५४६ सत्य अंसत्य की चतुर्भंगी.. आठ दृष्टि का स्वरुप.............. ...............५४८ ८ योग दृष्टियों में १४ गुणस्थानकों का समावेश........५५५ अष्टांग योग के साथ ८ दृष्टियों में जीव का विकास....५५६ आठ दोष........ ................................५५९ ८ दोषों के त्याग के आधार पर ८ दृष्टियों के विकास की
.. प्रक्रिया....५६१ । तीन योगों का स्वरुप................................५६२ अंध श्रद्धा और सम्यग् श्रद्धा..........................५६६ एसो पंच नमुक्कारो...................................५६८ व्यक्तिगत समकित देने की दुकान.....................५६९ सम्यक्त्वधारी महापुरुषों के दृष्टांत................५७१