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इस जंबूद्वीप में मुख्य ३ क्षेत्र हैं । दक्षिण में भरत क्षेत्र, मध्य में महाविदेह क्षेत्र और उत्तर में ऐरावत क्षेत्र है । धर्म के दृष्टिकोण से ये क्षेत्र सर्वोत्तम होने से इन्हें मुख्य प्रमुख क्षेत्र कहा है। शेष ४ क्षेत्र- हैमवत क्षेत्र, हरिवर्ष क्षेत्र, रम्यक क्षेत्र, हैरण्यवंत क्षेत्र ये धर्म की सत्ता के अभाववाले क्षेत्र हैं । तत्त्वार्थ सूत्र इस प्रकार है___ तत्र भरत-हैमवंत-हरि-विदेह-रम्यक्-हैरण्यवंतवर्षाः क्षेत्राणि ।। ३-१० ॥
ये सभी क्षेत्र पूर्व पश्चिम तक फैले हुए हैं। इनका विभाजन किस तरह होता है यह आगे के सूत्र में स्पष्ट किया गया है।
तद्विभाजिनः पूर्वाऽपराऽऽयता हिमवन्-महाहिमवन्-निषधनील-रुक्मि-शिखरिणो वर्षधरपर्वताः ।। ३-११ ।।
उपरोक्त सातों नाम के सात जो क्षेत्र हैं वे कैसे बनते हैं ? उनके लिए दूसरे सूत्र में कह रहे हैं कि... पूर्व से पश्चिम तक फैले हए . . . पर्वतों के कारण है। वे पर्वत हैं- हिमवंत, महाहिमवंत, निषध, नीलवंत, रुक्मी
और शिखरी आदि छः पर्वतमालाएँ हैं। ये सभी पर्वत पूर्व से पश्चिम तक फैले हुए लम्बे विस्तृत हैं। इनके कारण दो पर्वतों के बीच का प्रदेश क्षेत्र बनता है । जंबूद्वीप की दक्षिण परिधि
से लघु हिमवंत् पर्वत तक क्षेत्र का नाम हिमवंत क्षेत्र है । महाहिमवंत पर्वत और निषध पर्वत माला के बीच के क्षेत्र का हरिवर्ष क्षेत्र नाम है । निषध पर्वतमाला से नीलवंत पर्वतमाला के बीच के क्षेत्र का नाम महाविदेह क्षेत्र है। नीलवंत से रुक्मी पर्वतमाला के बीच के क्षेत्र का नाम रम्यक् क्षेत्र है । रुक्मी पर्वतमाला से शिखरी पर्वतमाला के बीच के क्षेत्र का नाम हिरण्यवंत क्षेत्र है । और शिखरी पर्वतमाला से जंबूद्वीप के उत्तरी किनारे के बीच के क्षेत्र का नाम ऐरावत क्षेत्र है। इस ऐरावत क्षेत्र के बीच में दीर्घ वैताढ्य पर्वतमाला के कारण भरत क्षेत्र के भी उत्तर-दक्षिण २ भाग होते हैं।
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आध्यात्मिक विकास यात्रा