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________________ षड् द्रव्य १ जीव २ धर्मास्तिकाय ४ आकाश ६ पुद्गल धम्मो - अहम्मो - आगासं, कालो-पोग्गल - जंतवो । एस लोगुत्ति पण्णत्तो, जिणेहिं वरदंसिहिं । उत्तरा २८ अ/७ ।। उत्तराध्ययन सूत्र आगमशास्त्र में १) धर्मास्तिकाय, २) अधर्मास्तिकाय, ३) आकाशास्तिकाय, ४) काल (समय), ५) पुद्गलास्तिकाय और ६) जीवास्तिकाय इन छह द्रव्यात्मक जगत् महावीर प्रभु ने बताया है । ३ धर्मास्तिकाय षड् द्रव्यों का स्वरूप १) धर्मास्तिकाय द्रव्य - ५ काल समस्त १४ राजलोक क्षेत्र में व्याप्त यह धर्मास्तिकाय द्रव्य है । जो प्रदेश समूहात्मक पिण्ड है । सर्वलोकव्यापी यह एक अखण्ड असंख्य प्रदेशी द्रव्य है 1 अनादि-अनन्त स्थितिवाला द्रव्य है I अनुत्पन्न - अविनाशी गुणस्वरूप में यह गति सहायक अजीव द्रव्य है । अतः इसकी गणना अजीव द्रव्य में होती है । गई सहावो धम्मो - I गति सहायक धर्मास्तिकाय द्रव्य है । जो सर्वथा अदृश्य होने से दृष्टिगोचर नहीं होता है । यह अरूपी द्रव्य है। स्कंध - देश-प्रदेश ये इसके ३ भेद गिने गये हैं । १४ जगत् का स्वरूप ३
SR No.002482
Book TitleAadhyatmik Vikas Yatra Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorArunvijay
PublisherVasupujyaswami Jain SMP Sangh
Publication Year1996
Total Pages496
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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