________________
सांख्य मतवादी विचारसरणी में २५ तत्त्व मुख्य माने गए हैं । पुरुष–प्रकृतिवादी यह सांख्यदर्शन पुरुष का वर्णन जैसा करता है ठीक वैसा ही वेदान्तीमत में ब्रह्म ब्रह्मा या ईश्वर का नहीं मिलता है । सांख्यों में भी दो प्रकार के मत पहले प्रचलित थे। १) सेश्वर सांख्य और दूसरे निरीश्वर सांख्य । ये सांख्य २५ तत्त्वों के ज्ञानमात्र से मुक्ती मानते हैं। जैसा कि वेद में नहीं है । इस तरह वेद से कई प्रकार की विचारधारा भिन्न होते हुए भी आश्चर्य यह है कि... सांख्य को नास्तिक तो नहीं कहा परन्तु ऊपर से वैदिक-आस्तिक दर्शन कहा है । यह कहाँ तक उचित है ? ___योगदर्शन के प्रणेता पतञ्जली ऋषि ने वैदिक विचारसरणि से.सर्वथा भिन्न ईश्वर का स्वरूप दर्शाते हुए “क्लेशकर्मविपाकाश्यैरपरामृष्टपुरुषविशेषो ईश्वरः" कहा है। इन्होंने पुरुषविशेष को ईश्वर माना है जो क्लेष-कर्म के फल से सर्वथा अलग-भिन्न हो। योगदर्शन में ऐसा ईश्वरविशेष भी सृष्टि का रचयिता-जगत् का कर्ता-पालनहार–सर्जनहार-विसर्जनहार नहीं माना गया है तो क्या यहाँ वैदिक मत से भेद नहीं हुआ? जरूर हुआ। तो क्या योगदर्शन को कहीं नास्तिक कहा है? क्या उसे अवैदिक कहा है ? क्यों नहीं? |
बौद्ध दर्शन की तो बात ही अलग है। वह क्षणिकवादी दर्शन आत्मा को सर्वथा मानता ही नहीं है । ईश्वर के बारे में कर्ता-अकर्ता के कोई विचार यह कहाँ प्रकट करता है ? बस, शून्यवाद और क्षणिकवाद का नारा ही इनका सबसे बडा सूत्र है । जयघोष है। हाँ, इस बौद्ध दर्शन को सच्चे अर्थ में नास्तिक कहना ही चाहिए क्योंकि ये आत्मा को सर्वथा मानते ही नहीं है । सभी तत्त्वों का आधारभूत तत्त्व आत्मा ही नहीं मानना है जिस पर सभी मोक्षादि तत्त्व आधारित हैं । बौद्ध दर्शन अवैदिक भी है और पक्का नास्तिक भी है। अतः व्याख्या बरोबर घटित होती है।
लेकिन एक बात साफ ध्यान में रखिए कि- अवैदिक होने से नास्तिक नहीं है। परन्तु आत्मादि आधारभूत तत्त्व को न मानने से नास्तिक सिद्ध होता है। ईश्वरविषयक भ्रान्ति-भ्रमणा
__क्या ईश्वर शब्द को जगत् के कर्ता अर्थ में ही रूढ कर दिया गया है ? क्या किसी कोष या व्युत्पत्ति अर्थ का, या व्याकरण शास्त्र का ऐसा नियम है कि... ईश्वर शब्द की निष्पत्ति या उत्पत्ति जगत् कर्ता अर्थ में ही है ? सृष्टिकर्ता अर्थ के सिवाय ईश्वर शब्द बन ही नहीं सकता है ऐसा कोई आधारभूत नियम है ? किस शास्त्र में है ? या किस कोष में
३९२
आध्यात्मिक विकास यात्रा