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इसी १४ गुणस्थानों की सीढी के सोपानों पर क्रमशः चढते चढते ही मोक्ष में गए हैं । यही आत्मा की विकास यात्रा है । जाना हो तो इसी आध्यात्मिक विकास यात्रा स्वरूप १४ गुणस्थानों का स्वरूप पढना-समझना होगा और इसी पर चलना भी होगा । अतः प्रस्तुत पुस्तक १४ गुणस्थान के विषय को लेकर ही लिखी जा रही है।
· ॥ सर्वेषां कल्याणं भवतु ।।
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आध्यात्मिक विकास यात्रा