SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 386
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ऊपर कहे हुए इन चारों प्रकार के पुरुषों के गुणों को हे मानव ! तू यदि सन्मानपूर्वक ग्रहण करता रहेगा, उन गुणों की अनुमोदना करता रहेगा तो नजदीक भविष्य में अवश्य ही मुक्ती का सुख प्राप्त करेगा... इसमें अंश मात्र भी संशय नहीं है। पासत्थाइसु अहुणा, संजमसिढिलेसु मुक्कजोगेसु। नो गरिहा कायव्वा, नेव पसंसा सहामज्झे ॥ २३ ॥ आज के कलियुग में कालप्रभाववंश शिथिल हए साधु-संयमी जो योग-क्रियादि में पतित साधुवेषधारियों की सभा में या उनके बीच न तो निंदा करे और न ही प्रशंसा करे । अर्थात् मौन ही सर्वश्रेष्ठ है। ... काउण तेसु करुणं, जइ मन्नइ तो पयासए मग्गं। . अह रूसइ तो नियमा, न तेसिं दोसं पयासेइ ॥ २४॥ ऐसी परिस्थिति में उनपर भावदया लानी चाहिए और यदि आप मना-समझा सको और वे मान सके, समझ सके, तो बिल्कुल सच्चा रास्ता बताना चाहिए। परन्तु ऐसा करने पर यदि वे कोपायमान होते हो तो हमें उनके दोष दुनिया में नहीं गाने चाहिए। गंभीरता रखकर माध्यस्थ भावना से भावि-भाव कर्माधीनता पर छोड देना चाहिए। संपइ दूसमसमए, दीसइ थोवो वि जस्स धम्मगुणो। बहुमाणो कायव्यो, तस्स सया धम्मबुद्धिए ॥ २५ ॥ आज के इस प्रकार के भयंकर कलियुग के विषम-दुषम काल में सद्भाग्य से यदि किसी में थोडासा अंशमात्र थोडा सा भी गुण दिखाई दे, तो उसके प्रति धर्मबुद्धि से हमेशा ही सद्भाव-सन्मान दिखाना चाहिए । उसकी अनुमोदना अवश्य ही करनी चाहिए। जउ परगच्छि सगच्छे, जे संविग्गा बहुस्सुया मुणिणो। तेसिं गुणाणुरायं, मा मुंचसु मच्छरप्पहओ ॥२६ ।। जो वैराग्यवान, विद्वान, ज्ञानवान, उत्तम चारित्रधारी, त्यागी, तपस्वी, उत्तम गुणवान व्यक्ती चाहे स्वं गच्छ में हो या अन्य-भिन्न गच्छ या संप्रदाय में भी हो तो भी उनके प्रति ईर्ष्या-द्वेष-असूया या मत्सर की वृत्ति रखकर गुणानुराग कभी भी नहीं छोड़ना चाहिए। मुक्तकंठ से गुणगान करना चाहिए। गुणरयण मंडियाणं, बहुमाणं जो करेइ सुद्धमणो। सुलहा अन्नभवंमि य, तस्स गुणा हुंति नियमेणं ॥ २७॥ गुणात्मक विकास ३२५
SR No.002482
Book TitleAadhyatmik Vikas Yatra Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorArunvijay
PublisherVasupujyaswami Jain SMP Sangh
Publication Year1996
Total Pages496
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy