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रहता है। कभी राजकीय अवस्था में रहता है। जीव के अनेक कार्यक्षेत्र रहते हैं। अपने-अपने कार्यक्षेत्र में जिस-जिस का जो विकास होता है उसे उस कार्यक्षेत्र में विकास कहते हैं । कोई जीव सत्ताओं को हासिल करने के क्षेत्र में विकास करता हुआ आगे बढता है, और कभी अर्थ के क्षेत्र में आर्थिक विकास करता हुआ, आगे बढता हुआ, श्रीमन्त-धनवान-करोडपति-अरबपति बनता है । उद्योगपति बनता है।
किसी का लक्ष्य मात्र राजकीय सत्ता को हासिल करने का रहता है । वह उसी दिशा में प्रयत्नशील रहता है । सरपंच की सत्ता से आगे बढता-बढता राज्यमंत्री बनता है । फिर केन्द्र में मंत्री बनना, फिर आगे प्रधान मंत्री बनना, फिर राष्ट्रपति बनना...फिर विश्वभर के राष्ट्रपति–विश्वपति बनना । फिर और आगे वासुदेव-प्रतिवासुदेव-फिर ... चक्रवर्ती बनना और अन्त में इन्द्र भी बनने की ख्वाईश रहती है। ये उत्तरोत्तर आगे-आगे की बढते-चढते क्रम की सत्ता की अवस्थाएं हैं । सत्ता के क्षेत्र में भी कोई आगे बढता हुआ विकास साधता हुआ कहाँ से कहाँ पहुँच जाता है । देवपाल कुमार एक ग्वाला मात्र था। जो जंगल में जाकर गाय चराने आदि का काम करता था। योगानुयोग जिन भक्ती-पूजापाठ आराधनादि करते हुए वह पुण्योपार्जन करने लगा। आखिर उसके प्रबल पुण्योदय ने एक दिन उसे राजा बना दिया। यह संभव है। विकास की दिशा में ऐसे विकास होते रहते हैं । यह संसार ही पुण्य-पाप का खेल है । अतः विनाश भी होते रहते
इसी तरह नोकरी के क्षेत्र में भी संसार के व्यवहार में विकास होता रहता है । नोकरी में उत्तरोत्तर स्तर आगे बढ़ता जाता है। वेतन की राशी बढती जाती है। कंपनियों में मालिक नोकर का कार्य विशेष देखकर उसे आगे के विभाग में ऊपर आगे बढती देता है। उसकी सत्ता के क्षेत्र का अधिकार क्षेत्र का विस्तार बढता है । यह उसे और अच्छा लगता है । वह उसे अपना विकास समझता है । वेतनादि में भी वृद्धि होती है । हाँ, संसार के व्यवहार में यह भी एक विकास ही गिना जाता है।
सेना में, पोलिस विभाग में भी आगे आगे के पद आदि पर बढोतरी होती रहती है। यह भी विकास के रूप में गिना जाता है । लेकिन संसार के व्यवहार की व्यवस्था के रूप में होता है । अतः सांसारिक व्यावहारिक विकास की गिनति में आएगा। ज्ञानक्षेत्रीय विकास के क्षेत्र में भी शिक्षकों-अध्यापकों-प्राध्यापकों आदि का क्रम आता है। जो शिक्षक जिस कक्षा तक सिखा सकता है, उसे भी अपना विकास करने का अवसर मिलता
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आध्यात्मिक विकास यात्रा